पशुपालकों के अरमानों को पलीता लगाने में कोताही नही बरत रहे है अधिकारी कर्मचारी, गोबर विक्रय राशि आज तक नहीं मिला पशुपालकों को

आशीष दास

कोंडागांव/बोरगांव । छत्तीसगढ़ गोधन न्याय योजना को राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा 20 जुलाई 2020 को पशुपालक किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू की गयी थी। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा गाय पालने वाले पशुपालक किसानो से गाय का गोबर ख़रीदी की जानी थी। इस योजना के तहत पशुपालक से ख़रीदे गए गोबर का उपयोग सरकार वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए करना था।

लेकिन कोंडागांव जिले के विकास खंड फरसगांव के ऐसे अनेक पंचायत है जहां पशुपालकों को कोई फायदा नजर नहीं आया, क्योंकि इन पशुपालकों को आज तक गोबर विक्रय की राशि नहीं मिल पाया।

बता दे कि योजना की शुरुआत में सभी पंचायतों को गोबर खरीदी करने हेतु कहा गया था जिसके लिए पंचायतों द्वारा स्व सहायता समूह के माध्यम से गोबर खरीदी की शुरुआत की गई थी, फिर अचानक लगभग एक डेढ़ महीने बाद आदेश जारी हुआ कि जिस पंचायतों में गौठान स्वीकृत है केवल उसी जगहों पर गोबर की खरीदी की जाएगी और बाकी पंचायतों में गोबर खरीदी अचानक बंद कर दिया गया और खरीदी की गई गोबर का राशि आज तक पशुपालकों को नहीं मिला साथ ही खरीदी किए गए गोबर भी खुले में पड़े पड़े खराब हो चुका है जिसकी कोई उपयोगिता नहीं रही और पशुपालकों की मेहनत बेकार गया।

इसमें भी चला खेल-

मजे की बात यह है कि गोबर खरीदी की सुगबुगाहट से सभी पंचायतों में राजनीतिक पहूंच वाले व्यापारियों द्वारा निम्न गुणवत्ता वाले ऊंची दरों पर इलेक्ट्रॉनिक तौल मशीन तुरंत उतार दिया गया और नेता एवं अधिकारियों के द्वारा दबाव बनाकर पंचायतों से भुगतान भी करवा लिया गया। गोबर खरीदी बंद होने से उक्त तौल मशीन बेकार पड़े पड़े जंग खा रहे हैं या फिर खराब हो चुके हैं जिससे पंचायतों के राशि का दुरपयोग की बात कही जा रही है।

पशुपालकों का कहना है कि_

गौरतलब हो कि बोरगांव एवं जुगानी कैंप जोकि बंग बहुल क्षेत्र है जहां अच्छे नश्ल के पशुपालक किसान है और प्रतिदिन भारी मात्रा में इन क्षेत्रों से दुग्ध उत्पादन होता है। बोरगांव के पशुपालक प्रकाश राय, राधेश्याम हालदार, जुगानी कैंप के नरेश, मिलन, जादव, शिशु, रोहित, अमल सहित अन्य पशुपालकों ने बताया कि पिछले वर्ष जुलाई माह से गोबर खरीदी शुरू हुआ था। हम भारी बारिश में बड़ी मेहनत से गोबर इकट्ठा कर पंचायत के गोबर खरीदी केंद्र में जाकर गोबर विक्रय किए। लेकिन उसका भुगतान आज तक हमे नहीं मिल पाया। गोबर खरीदने वाले समूह से पूछने पर अब तक फंड नहीं आने की बात करते हैं और जनपद कार्यालय से कहा जाता है कि जिस पंचायत में गौठान स्वीकृत है केवल वहीं के पशुपालकों को गोबर विक्रय की राशि जारी होगी।

अब सवाल यह है कि सरकार पशु पालक किसानों के फायदे के लिए इस योजना को शुरू तो किए लेकिन मैदानी स्थिति बहुत ही दयनीय है वहीं अधिकारी व कर्मचारी इन पशुपालकों के अरमानों को पलीता लगाने में कोताही नही बरत रहे है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी-

इस विषय पर फरसगांव जनपद सीईओ व डिप्टी कलक्टर सीमा ठाकुर से बात करने पर उन्होंने कहा कि गोबर खरीदी का फंड कृषि विभाग में आता है और वहीं से जारी किया जाता है। गोबर खरीदी फंड के विषय में हमने कृषि विभाग के अधिकारियों का बैठक बुलाया है पूरी जानकारी लेने के बाद आपको दिया जाएगा। ‌