रोजगार दिवस पर मनरेगा मजदूरों ने बनाया जल रूपी मानव श्रृंखला

आशीष दास

कोंडागांव/बड़ेडोंगर । जिला मुख्यालय से महज 35 किमी की दूरी पर जनपद पंचायत फरसगांव अंर्तगत ग्राम पंचायत बड़ेडोंगर में रोज़गार दिवस के दिन अमृत सरोवर संध तालाब में जल संरक्षण को लेकर ग्रामीणों में जागरूकता हेतू जल रूपी मानव पिरामिड का निर्माण किया। इसका उद्देश्य ये था कि हम कैसे वर्षा के जल की एक एक बूंदों को अधिक से अधिक समय तक गांव में रोकने के लिए जल के संग्रहण के लिए एक बड़े तालाब का निर्माण करे या जो गांव में पहले से तालाब बने हैं उनका जीर्णोधार कर जल को बचाए।

भारत सरकार के द्वारा हर जिले में भारत के स्वतंत्रता सैनानी एवं राष्ट्र सेवा में न्योछावर वीर शहीदों के नाम पर अमृत सरोवर का निर्माण एवं जीर्णोधार कार्य करवाया जा हैं ताकि उनके बलिदान से ग्रामीणों ने जागरूकता आए और वो भी देश की अखंडता एवं एकता के लिए अपना योगदान देवे।

देश की आजादी के 75वर्ष के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा हैं l इसी महोत्सव के तहत् अब प्रदेश सरकार ने ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवर को विकसित करने की योजना तैयार की हैं सरोवर में वर्षभर पानी की उपलब्धता बनी रहे इसके लिए अलग से व्यवस्था की जाएंगी सरोवर का रकबा कम से कम एक एकड़ का रखा जाना है प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर का निर्माण किया जाना है।

अमृत सरोवरों का नामकरण गांव के शहीद के नाम पर होगा। इसके किनारे पर शहीदों के नाम अंकित होंगे। राष्ट्रीय पर्व अमृत सरोवर के किनारे ही आयोजित होंगे। अमृत सरोवरों पर ध्वजारोहण स्तंभ बनेंगे। हर राष्ट्रीय कार्यक्रम में राष्ट्र ध्वज यहीं फहराया जाएगा।

शहीदों व महापुरुषों के चित्रों से अमृत सरोवरों को सुसज्जित किया जाएगा। समय-समय पर ग्रामीण युवाओं को शहीदों की वीर गाथा की जानकारी देने की व्यवस्था रहेगी।

बारिश से हर साल करोड़ों लीटर पानी बेकार बह जाता है अगर हम इसे गड्डे और तालाब बनाकर इकट्ठा करें तो पानी की समस्या काफी हद तक हल हो सकती है। अमृत सरोवर हमारे लिए बहुत उपयोगी है, साथ ही भूमिगत जल को बढ़ाने के साथ साथ हम प्राकृतिक रूप से पीने, पशु पक्षीयो, सिंचाई आदी के लिए पानी की व्यवस्था भी कर सकते हैं, हमारे राज्य के कुछ हिस्से अभी भी तालाबों से सिंचित है। तालाब भू जल स्तर को बढ़ाने के साथ-साथ दूरदराज के इलाकों में भू जल स्तर को भी बढ़ाता है, जिससे पानी की समस्या का समाधान होता है।

वर्तमान जो तालाब मूल स्वरूप खो चुके हैं उनका संरक्षण अमृत सरोवर के रूप में किया जा रहा है ताकि भूजल स्तर में सुधार आ सकें।