शिक्षा संस्कृति में नवाचार को अपनाने से सफलता मिलती है : प्रो अरुणा पलटा…शैलदेवी महाविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

संजय साहू

अंडा। शिक्षा,संस्कृति ,साहित्य के नवाचार से समृद्ध होती भावी पीढ़ी प्रो अरुणा पालटा,कुलपति हेमचंद्र यादव विश्वविद्यालय उपरोक्त विचार कुलपति अरुणा पालटा,ने व्यक्त किए। वह उद्घाटन कर रही थी दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी शैलदेवी महाविद्यालय ,अंडा,दुर्ग में आपने कहा,”शिक्षा,संस्कृति में कठिन मेहनत,नवाचार को अपनाने से ही विद्यार्थी सफलता प्राप्त करता है। ” इससे पूर्व कुलपति ,निदेशक राजन दुबे और प्राचार्य मिश्रा ,मांट्रियल कनाडा की स्कॉलर मिस. एमरोडे लेपोंइटे ने हिंदू धर्म और स्त्रियों पर शोध कर रही हैं और चर्चित साहित्यकार और शिक्षाविद डॉ. संदीप अवस्थी ने मां शारदेय के सामने दीप प्रज्वलन कर इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का विधिवत उद्घाटन किया।अतिथियों का स्वागत संयोजक डॉ. रजनी राय ने किया।

प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर संदीप अवस्थी और मुख्य वक्ता कनाडा की मिस. एमरोडे लेपोंइटे रहीं । इस सत्र का विषय था शिक्षा में नए आयाम और उनका संस्कृति और साहित्य पर प्रभाव। अपने उद्बोधन में प्रोफेसर अवस्थी ने रोचक ढंग से बताया कि ” संस्कृति से ही मनुष्य सभ्य और मानवीय गुणों से भरपूर बना। प्राचीन भारत से उद्धरण देते हुए आपने बताया कि ध्वनि को सर्वप्रथम पहचानकर मानव ने उससे शब्द और फिर बहुत बाद में लिपि विकसित की। इसी के साथ संस्कृति विकसित हुई जब उसने एक दूसरे के साथ बैठना,सुख दुख बांटना और संगीत,वाद्ययंत्र,नृत्य के माध्यम से अपने को दिन भर के कार्यों से तनाव मुक्त किया। आज भी उस समय के शैल चित्र कोल्कता और दिल्ली के संग्रहालयों में हैं। आपने खचाखच भरे सभागार में युवा पीढ़ी को प्रेरित किया की वह रोज कम से कम चार घंटे का मोबाइल से उपवास रखे और वह समय अपनी अभिरुचि विकसित करने में दें ।

नई शिक्षा नीति में युवाओं के लिए ड्यूल कोर्स,लोक जीवन से जुड़े डेयरी फार्मिंग,मिट्टी और काष्ठ के बर्तन निर्माण आदि पर भी अवसर हैं। सत्र की दूसरी वक्ता कनाडा से आई मिस. एमरोडे लेपोंइटे ने बताया की,भारतीय संस्कृति पर शोध करते हुए उन्होंने पाया की यहां की स्त्रियां काफी रचनात्मक हैं और साथ ही रीति रिवाजों को मानती हैं। उन्होंने बताया की जब वह इन लोगों से मिली तो कइयों ने परदे की ओट से बात की। आपने कहा भारतीय संस्कृति में आकर उन्हें सभी जगह अपनापन और सत्कार मिला। द्वितीय सत्र में विभिन्न महाविद्यालयों से आए शोधार्थियों और प्राध्यापको ने शोध पत्रों का वाचन किया।इस सत्र में डॉ. संदीप अवस्थी ने अध्यक्षता करते हुए प्रकाश डाला की किस तरह यूजीसी मानदंडों के आधार पर स्तरीय शोधपत्र लिखा जाना चाहिए। साथ ही श्रोताओं की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया। भोजन उपरांत तीसरा सत्र प्रारंभ हुआ जिसकी अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार परदेसी राम वर्मा ने की और बहुत ही रोचक ढंग से संस्कृति ,साहित्य और शिक्षा के अंतर्संबंध को समझाया। रामचरितमानस से लेकर प्रेमचंद तक के उन्होंने उपमाएं दी।

मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुधीर शर्मा,कल्याण महाविद्यालय ने कहा,”आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी का युग है। विद्यार्थी या अन्य लोग हर काम जल्दी चाहते हैं । इसी वजह से पांच से दो दो मिनट की रील, स्पीच अधिक लोकप्रिय हो रही हैं। परंतु अध्ययन,शिक्षा परिसर और गुरु का कोई विकल्प नहीं है।” इस सत्र में भी कई शोध पत्र पढ़े गए। डॉक्टर संदीप ने कहा इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी से शैलदेवी महाविद्यालय ही नही बल्कि आसपास के सभी महाविद्यालयों को प्रेरणा मिलेगी। यह सब महाविद्यालय के निदेशक राजन कुमार दुबे के विजन और संयोजक डॉक्टर रजनी राय के कारण संभव हुआ। आपने कनाडा की स्कॉलर मिस. एमरोडे लेपोंइटे को महाविद्यालय के सभागार में बैठी छात्राओं के मध्य भेजा और उन लोगों से आपने हिंदी में बात की। सभी को कनाडा आने का न्योता दिया। कल दूसरे और अंतिम दिन तीन सत्र होंगे । जिनमे लंदन से जय वर्मा, साहित्यकार, अलका सरावगी, लेखिका कोलकाता और शिक्षाविद डॉक्टर संदीप अवस्थी सहित कई जाने माने विद्वान रहेंगे। साथ ही कुछ शोध पत्र कल भी लिए जाएंगे।