अक्षय तृतीया यानी अक्ती तिहार का मूल केंद्र किसान को माना जाता है।इसे हालांकि किसानों का प्रथम पर्व कहा जाता है। अक्ती तिहार के दिन से ही कृषि कार्य का प्रारंभ माना जाता है। खेती कार्य की दृष्टि से यह नए वर्ष का प्रारंभ दिवस है। लोक पर्व अक्ती बैसाख शुक्ल पक्ष की तीज को मनाया जाता है। जिसे छत्तीसगढ़ सरकार ने तीज त्यौहार के संरक्षण में एक और पहल करते हुए माटी पूजन दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है , जिसके अन्तर्गत प्रदेश के साथ साथ माटी पूजन दिवस का जिला स्तरीय आयोजन समीपस्थ ग्राम पुरई में किया गया जिसमें क्षेत्र के विधायक व प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू क्षेत्र की जनता के बीच पहुंचे। माटी पूजन दिवस को अविस्मरणीय बनाने के लिए पुरई ग्राम वासियों ने गौठान में पुरी तैयारी की थी , जहा विधायक ताम्रध्वज साहू व जिला पंचायत अध्यक्ष शालिनी यादव ने पारंपरिक बैलगाड़ी की सवारी की , इसके पश्चात विधि विधान से कृषि कार्य की शुरुआत हेतू धान के बीज की बुआई कर की गई। कार्यक्रम स्थल पर ही अक्ती तिहार पर आयोजित होने वाले गुड्डा गुडिया विवाह के रस्म अदायगी में भी सभी अतिथियों ने हिस्सा लिया और गुड्डा गुडिया को टिकावन भेट की गई।
इसके पश्चात् धरती माता की रक्षा व जैविक खेती के लिए प्रेरित करते हुए शपथ भी दिलाई –
कार्यक्रम में उद्यानिकी विभाग की ओर से हितग्राही कृषकों को बैटरी स्पेयर , मत्स्य विभाग की ओर मछली जाल और कृषि विभाग की ओर से कृषकों को पावर टिलर भी प्रदान किया गया।