पाटन।शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग एवं आईआईटी मिलाई के संयुक्त तत्वाधान में 3 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन Recent Trends in Science and Engineering का उदघाटन सरस्वती वंदना, राज्य गीत एवं द्वीप प्रज्जवलन के साथ प्रारंभ हुआ।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि प्रो. एन.वी रमणा राव निदेशक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर ने अपने उद्बोधन में विज्ञान एवं यांत्रिकी से संबंधित नवीनतम घटनाओं के बारे में बताते हुए ये कहा की विज्ञान एवं यांत्रिकी में नवीनतम टेक्नोलॉजी के सहयोग से देश का सकरात्मक विकास संभव हो सकता है। उन्होंने विज्ञान एवं यांत्रिकी विषय पर छत्तीसगढ़ में अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए महाविद्यालय एवं आई.आई.टी. भिलाई के शोध के क्षेत्र में योगदान की प्रशंसा की उन्होंने रोबेटिकस् कृत्रिम बुद्धिमता के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की।


इसके पूर्व संयोजक डॉ जगजीत कौर सलूजा ने इस कार्यक्रम की रुपरेखा एवं सम्मेलन किस प्रकार विद्यार्थियों एवं सोध और अनुसंधान से जुड़े प्राध्यापकों के लिए उपयोगी होगा, इस पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की इस सम्मेलन में 42 मौखिक प्रस्तुतिकरण तथा 31 पोस्टर प्रस्तुतिकरण होंगे।
एल.एस. आई अध्यक्ष डॉ. के.व्ही. आर. मूर्ति ने इस सम्मेलन के माध्यम से कहा की हम विद्वानों और वैज्ञानिकों को साथ-साथ यह सुनिश्चित करने की प्रमुख जिम्मेदारी है कि दुनिया आने वाली पीढ़ीयों के लिए विज्ञान एवं इंजीनिरिंग से सुसज्जित हो। प्रभारी प्राचार्य डॉ अनुपमा अस्थाना ने अपने उदबोधन में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह महाविद्यालय सदैव गुणवत्तापूर्ण उच्चशिक्षा प्रदान करने की दिशा में अनुसंधान एवं नवाचार के लिए तत्पर रहा है। बदलते समय में हमारा ग्रह विभिन्न प्रतिकूलताओं का सामना कर रहा है तो इस सम्मेलन से विज्ञान एवं इजीनिरिंग में सतत् विकास की दिशा में सार्थक परिणाम आएगे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुसुमांजली देशमुख एवं आभार प्रदर्शन डॉ. विकास दुबे द्वारा किया गया।

प्रथम टेक्नीकल सत्र में क्याजुलु-नटाल विश्वविद्यालय, डरबन दक्षिण अफ्रीका से प्रो. श्रीकांत बी. जोनालागड्डा ने (प्लेनरी टॉक) नैनोकम्पोजिस्टस् का उत्प्रेरकीय उपयोग के बारे में शोधार्थियों को नवीनतम जानकारी प्रदान की तथा साथ ही साथ ग्रीन सेंथिसिस के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की।
डॉ के वी आर मूर्ति आध्यक्ष, ल्यूमिनिसेंस सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा प्रकृति में प्राकृतिक ल्यूमिनिसेंस के उपयोग के उपर विस्तार से से प्रस्तुतिकरण किया गया। आईआईटी मिलाई के डॉ. संजीव बैनर्जी ने पालीमर मटेरियल के इंजीनिरिंग एवं बायोमेडिकल के क्षेत्र में योगदान के विषय में बताया।

द्वितीय टेक्नीकल सत्र में सैन्य प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पोलैंड से डॉ. मार्टी मिचलास्का डोमानास्का ने लोहा एवं एल्यूमिनियम के मिश्रधातु को एनोडाजिंग के बारे में बताया। सेंटर फॉर एनर्जी रिसर्च एंड डेवलपमेंट ओबाफेमी अवोलोवो यूनिवर्सिटी इले-लफे, नाइजीरिया से डॉ. एम.बी. लतीफ थॉल्यूमिनिसेंस डोजीमेंट्री के संदर्भ में जानकारी प्रदान की तथा इसके उपयोग से विज्ञान एवं इजीनियरिंग के क्षेत्र में आने वाले परिवर्तनों का विवरण दिया।
नॉर्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग से डॉ. एस.पी. पति ने मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में प्रोटॉन का उपयोग करके कंप्यूटिंग विषय में व्याख्यान दिया। बेलग्रेड विश्वविद्यालय से डॉ. जेलेना भित्रिक ने पलारमीन-फोनान इंटरेक्शन तथा प्रकाशिय सतह क्रिस्टल के गुणधर्मा को बताया तथा गोल्ड नैनोकणों की बायोसथेसिस की उपयोगिता के बारे में चर्चा की। आरटीएम नागपुर विश्वविद्यालय नागपुर से प्रो. एस.जे. ढोबले ने वनस्पति से चांदी के नैनोकणों को बनाने की चचर्चा की और बेल के पौधे से तांबे के नैनोकणों का बनाने को समझाया।

तृतीय टेक्नीकल सत्र में आई.आई.टी. भिलाई के डॉ. ध्रुव प्रताप सिंह ने माइक्रोरोबोटस की संरचना एवं उपयोगिता पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया उन्होंने माइक्रोरोबोट्स को रसायनिक सेसिंग तथा जीवाणु सेंसिग हेतु उपयोगी बताया।
एएमपीआरआई भोपाल से वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनोज गुप्ता ने नैनोडिवाइसेस पर ज्ञानांक व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने ग्रेफीन तथा जिंक आक्साइड की संरचना को समझाया। केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा से डॉ. अंकुश विज ने नैनोफासफर की उपयोगिता एवं गुणधर्मो को बताया। आई.आई.टी. भिलाई से डॉ. महावीर शर्मा ने तारो तथा अंतरिक्ष से संबंधित विरियल साम्यावस्था के बारे में बताया। कोमनिस विश्वविद्यालय ब्रेटिशलावा से डॉ. सालू अत्री ने अपने व्याख्यान से पर्यावरण से संबंधित पहनी की मुद्धि के लिए फेराइट मटेरियलस की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।

इसके साथ विभिन्न राज्यों से सम्मिलित शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। विभिन्न सत्रों को प्रो एस.जे. ढोबले. प्रो. नारायण प्रसाद अधिकारी, डॉ. महावीर शर्मा, डॉ. आर. के मिश्रा, डॉ. शेशा वेगपति, डॉ. जगजीत कौर सलूजा, डॉ. विकास दुबे, डॉ. सुधानवा पात्रा, डॉ. साव्यासाची घोष, डॉ. कुसुमाजली देशमुख द्वारा सफलतापूर्वक संचालन किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में भौतिक शास्त्र के समस्त शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक, शोधार्थी एम.एससी द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थियों का योगदान रहा। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विभागों के प्राध्यापक शोधकर्ता एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। संयोजक श्री जगजीत कौर एवं सचिव डॉ अभिषेक कुमार मिश्रा के अनुसार इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के द्वितीय दिन आई.आई.टी. मिलाई के मिथिला हॉल में त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू नेपाल से प्रो. नारायण प्रसाद अधिकारी, प्रो. रामेश्वर अधिकारी, आई. एस. बी.एम. विश्वविद्यालय से डॉ. एन. कुमार स्वामी, आई आई टी. भिलाई से थीं. साव्यासाची घोष, शेशा वेमपति, डॉ. पदमावती श्रीवास्तव, डॉ. आर.के. मिश्रा, डॉ. ओमप्रकाश के व्याख्यान होंगे। इसी के साथ विभिन्न राज्यों से सम्मिलित शोधार्थियों द्वारा पोस्टर प्रस्तुतिकरण भी होगा।