पाटन।पाटन विकासखंड का ग्राम औंधी भी अब मूर्तिकला के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बना रहा है।गाँव के 20 से 25 परिवार इस कला के माध्यम से न सिर्फ ख्याति अर्जित कर रहे हैं,बल्कि बेरोजगार स्वजनों को गोजगार भी मुहैया करा रहे हैं।
गाँव मे 1000 से 1200 मूर्तियां हर साल बिक जाती है।

मूर्तिकला के क्षेत्र में दुर्ग जिले के थनौद की राज्य ही नहीं कई राज्यों में विशेष पहचान है। वहीं अब पाटन के औंधी को भी लोग मूर्तिकला के लिए पहचानने लगे हैं। गाँव के तिलक चक्रधारी,गिरधर चक्रधारी बल्ला चक्रधारी की बनाई मूर्तियां रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के कई जिलों में पूजी जाती है इस बार यहाँ की मिट्टी गणेश के रूप में महाराष्ट्र के गोंदिया में पूजी जाएगी।

यहां बनी मूर्तियों और झांकियों की डिमांड साल भर बनी रहती है. यहां की मूर्तिकला की विशेषता के कारण अन्य राज्य से लोग यहां आकर मूर्तियां बनवाते हैं.
यहां के चक्रधारी परिवार ने इस कला को आज के आधुनिकतम युग में भी बचा कर रखा है. गिरधर चक्रधारी बताते हैं की इस कला के माध्यम से ही वे अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. पहले दादा जी छोटी छोटी मूर्ति बनाकर भिलाई 3 में बेचने जाते थे,फिर हैम थानोद से ट्रेनिंग लेकर आज हम गाँव मे ही 17 फ़ीट की गणेश मूर्ति बना रहे हैं, शिल्पकार बल्ला चक्रधारी बताते हैं कि यह उनका पुश्तैनी काम है पहले आसपास के ही मूर्तियों के ऑर्डर आते थे लेकिन इस बार महाराष्ट्र के गोंदिया से गणेश मूर्ति का आर्डर मिला है ,हमे खुसी है कि हमारी बनाई मूर्तियां दूसरे राज्यों में जाएगी।

दुर्ग जिले का थानोद ग्राम को मूर्तिकला के क्षेत्र में प्रसिद्धि मिल चुकी है अब दुर्ग जिले के ही पाटन के इस छोटे से गांव औंधी की पहचान अब धीरे धीरे छत्तीसगढ़ के बाहर अन्य राज्यों में भी बढ़ती जा रही है. यहां के मूर्तिकार अपनी माटी कला से सुंदर- सुंदर मूर्तियां बनाते हैं. इसके अलावा लोगों की डिमांड के आधार पर मूर्तियां तैयार की जाती है. नवरात्रि पर्व पर दुर्गा पूजा और गणेश चतुर्दशी में सबसे ज्यादा मूर्तियों के डिमांड आती है.