दिव्यांग आस को देख लगता है उड़ान पंखो से नही हौसले से होती है, साहित्यकार, संस्थापक, संयोजक समाज सेवक व शिक्षक है दिव्यांग शिवनारायण
अंडा । जहां एक ओर स्वस्थ व्यक्तियों को कुछ भी करने के लिये जी चुराते आपने देखा होगा पर एक दिव्यांग में सब कुछ कर गुजरने का हौसला किसी में