बलराम यादव
पाटन। बस्तर कहने से ही आंखों के सामने हरियाली से आच्छादित ऊंचे ऊंचे पहाड़, झरने सहित आदिवासी जनजाति का रहन सहन, उसकी संस्कृति, नृत्य, गीत संगीत दिखाई और सुनाई देने लगती है। लेकिन पिछले कुछ समय से बस्तर की जान आदिवासी जनजाति संस्कृति आधुनिकता की चकाचौंध में विलुप्त होते जा रही थी। इसे सहेजने का काम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में उसकी सरकार ने इसका जिम्मा उठाया। इसके लिए वर्ष 2021 में बस्तर में ’बादल’ ( बस्तर एकेडमी ऑफ डांस एंड लिटरेचर ) प्रोजेक्ट की शुरुआत जगदलपुर के इंद्रवती नदी के पास स्थित ग्राम पंचायत आसना की गई। ’बादल’ में आज जो काम हो रहा है व पूरे छत्तीसगढ़ का नाम देश और विदेशों में रोशन कर रहे है। यही नहीं इस संस्था में अभी तक तीन हजार से अधिक छात्र छात्राएं प्रशिक्षण ले चुकी है। इनमे से गोदना आर्ट में एक छात्र ने मध्य प्रदेश में आयोजित खुजाराहो महोत्सव में अपनी गोदना आर्ट का लोहा मनवाया है। इन्ही सब से परिचित होने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विधानसभा क्षेत्र पाटन के पत्रकारों ने एक अध्यन यात्रा निकाली। जिससे की बादल प्रोजेक्ट को नजदीक से देखा जा सके, वहा के कार्य को देखकर अन्य जगह पर प्रचारित और प्रसारित किया जा सके।

बादल प्रोजेक्ट के अध्ययन यात्रा में शामिल पत्रकारों की टीम सबसे पहले आसना ग्राम पंचायत में स्थित केंद्र जहां बादल प्रोजेक्ट चल रहा है वहा पहुंचे। पहले दिन शाम को एक कार्यशाला में शामिल हुए जिसमे बादल प्रोजेक्ट में हो रहे गतिविधियों के बारे में अवगत कराया गया। सुबह सुबह पत्रकारों की टीम ने बादल संस्था के प्राचार्य श्रीमती पूर्णिमा सरोज ने पत्रकारों को पूरे कैंपस का भ्रमण कराया। इसके बाद बादल संस्था के उद्देश्य, ओर किस तरह से विभिन्न क्षेत्र में कार्य कर रहे है उसकी जानकारी दी। इसके बाद विभिन्न क्लास जो संचालित होती है उससे पत्रकारों को अवगत कराया। इस अवसर पर पाटन ब्लॉक के पत्रकार संदीप मिश्रा, बलराम यादव, राजू वर्मा, सुरेंद्र शर्मा, गंगादीन साहू, टिकेंद्र वर्मा, अंचल पांडे मौजूद रहे। इस पूरे कार्यक्रम के संयोजक जवाहर वर्मा , सह संयोजक संतोष वर्मा थे। जिनके मार्गदर्शन में पत्रकारों ने बादल प्रोजेक्ट का बारीकी से अध्यन किया।


इस क्षेत्र पर हो रहे है कार्य
बस्तर एकेडमी ऑफ डांस एंड लिटरेचर ( बादल) में आदिवासी जनजातियों के पारंपरिक गीत , संगीत, शिल्प कला, चित्रकला, नृत्य, गायन, वादन, हल्बी गोडी गीत प्रशिक्षण, हस्त कला, गोदना आर्ट, क्लाथ पेंटिंग, लोक संगीत के क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है। खैरागढ़ कला संगीत विश्विद्यालय से संबद्धता प्राप्त कर नई पीढ़ी के युवाओं को इन सब विधाओं में पारंगत किया जा रहा है। बादल संस्था के प्राचार्य श्रीमती पूर्णिमा सरोज ने बताया की युवाओं को लगातार अभी विधाओ पर पारंगत किया जा रहा है। अभी तक तीन हजार छात्र छात्राओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है । यह पर समय समय अलग अलग विधाओं का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित होते है।