जगदलपुर। दशहरा मनाने आई माता मावली और दंतेश्वरी को मंगलवार दोपहर नम आंखों से हज़ारों भक्तों ने आत्मीय विदाई दी। सिंहद्वार के सामने जिला पुलिस बल की महिला आरक्षकों ने गार्ड आफ ऑनर दिया। इस मौके पर हजारों भक्तों की भीड़ मंदिर के सामने मौजूद रही। बस्तर महाराजा कमलचंद भंजदेव ने माता मावली की डोली को कंधे पर रख एक किमी दूर जिया डेरा तक पहुंचाया।
माता विदाई के मौके पर बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष सांसद दीपक बैज, संसदीय सचिव रेखचंद जैन, महापौर श्रीमती सफिरा साहू, नगर निगम की अध्यक्ष श्रीमती कविता साहू तथा जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजीव शर्मा, पूर्व महापौर किरण देव, एमआईसी सदस्य योगेंद्र पांडे, पार्षद श्रीमती दीप्ति पांडे, जिलाधीश चंदन कुमार विशेष रूप से मौजूद रहे।
बस्तर दशहरा की रस्में 75 दिनों में पूर्ण होती हैं। इनमें प्रमुख पूजा विधान है मावली परघाव। दंतेश्वरी शक्तिपीठ दंतेवाड़ा से प्रतिवर्ष माता मावली और मां दंतेश्वरी बस्तर महाराजा के आमंत्रण पर दशहरा मनाने जगदलपुर आती हैं। प्रतीक के रूप में इनकी डोली और छत्र लाई जाती हैं। इनके स्वागत सत्कार को ही मावली परघाव कहा जाता है। माताओं के स्वागत हेतु लाखों के भीड़ मौजूद रहती है।
दशहरा मनाने के बाद माताओं को परंपरानुसार विदाई दी जाती है। मंगलवार को प्रधान पुजारी कृष्ण कुमार पाढ़ी के सानिध्य में बस्तर महाराजा कमल चंद भंजदेव ने माताओं की पूजा अर्चना की तथा माता मावली की डोली को अपने कंधे पर रख सिंहद्वार पहुंचे। यहां इसे अस्थायी मंच पर भक्तों के दर्शनार्थ रखा गया। तत्पश्चात भेंट सामग्रियों के साथ माता की विदाई दी गई। विदाई के समय जब मंदिर परिसर माता के जयकारा से गूंज रहा था वहीं सैकड़ों भक्तों की आंखें बह रहीं थीं। बस्तर महाराजा ने डोली को मंदिर से लगभग एक किमी दूर जिया डेरा पहुंचाया गया। डोली के साथ दंतेवाड़ा से आए परमेश्वर जीया, अर्जुन मांझी, केएल राव, बीरो मांझी, मोसूराम, अशोक -संतोष पड़ियार साथ चल रहे थे। वहीं टेंपल स्टेट कमेटी द्वारा भक्तों को प्रसाद के 10 हजार पैकेट वितरित किए गए। बताया गया कि बुधवार शाम दंतेवाड़ा के नगर कोटवार घाट भैरव की अनुमति लेकर माता की डोली श्री मंदिर में प्रवेश करेगी। इसके साथ ही बस्तर दशहरा महापर्व का समापन हो जाएगा।

