जशपुर जिले में भ्रष्टाचार का बीईओ, बीआरसी और रिश्वतखोर लेखापाल, जांच में आरोप हुए प्रमाणित, पर कार्यवाही अब तक नही- आदिवासी विकासखण्ड के शिक्षा विकास के लिए भेजी थी शासन ने राशि, डकार गए बीईओ

जशपुर – जशपुर के बगीचा ब्लॉक में शिक्षा के नाम पर बड़ा गबन का मामला सामने आया है, और जांच भी हुई, जांच में अफसर लिप्त पाए गए, पर जब जांच पर कार्यवाही नही हुई तो ग्रामीणों ने सीएम, शिक्षामंत्री, सचिव, प्रमुख सचिव शिक्षा विभाग सहित शिक्षा मंत्री तक को ज्ञापन सौंपकर राशि वसूली, प्राथमिकी दर्ज करने के साथ निलम्बन कार्यवाही हेतु ज्ञापन सौंपा है।

दरअसल हुआ यह है कि सरकार ने जशपुर जिले के आदिवासी विकाखण्ड बगीचा में 25 नए संकुल केंद्र खोलकर शिक्षा को दुरुस्त करने की पहल की थी। पर 25 नए संकुल केंद्र बने तो सबके स्थापना संबंधी व्यय हेतु 40-40 हजार रुपये सरकार द्वारा भेजा गया, पर इन संकुलों का 8 लाख 40 हजार स्थापना व्यय संबंधी राशि को बगीचा बीईओ आर एल कोशले बीआरसी कृष्न कुमार राठौर और शैलेश अम्बष्ट के द्वारा संकुल समन्वयकों पर दबाव पूर्वक संयुक्त खाते से आहरण करा कर गबन कर दिया।

मामला जब शिकायतकर्ताओं के साथ मीडिया में आया तो संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग अम्बिकापुर के द्वारा तीन सदस्यी टीम बनाकर जांच शुरू हुई, और जांच में मामला प्रूफ भी हो गया, और तीनों पर गबन सिद्ध हुआ, जांच होने के बाद अब जब महीने को हैं तो कार्यवाही नही हुई तो शिकायतकर्ताओं ने सीएम भूपेश बघेल, शिक्षा मंत्री प्रेमसाय टेकाम, सचिव शिक्षा एस भारतिदासन, प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला को ज्ञापन सौंपकर कार्यवाही की मांग की है। वहीं ग्रामीणों के द्वारा सौंपे ज्ञापन में यह भी उद्धरित है कि शिक्षा संचालक सुनील जैन के बीइओ कोशले क्लासमेट होने के कारण मामले को दबाने का प्रयास है, और कार्यवाही नही हो रही है। हालांकि यह जरूर है कि सरगुजा कमिश्नर और शिक्षा संचालक के आदेश पर ही जांच हुई है।

इस गबन के मामले के अलावा अन्य मामले भी जांच में साबित हुये है जो कि यह है कि 170 समूहों को बीइओ कोशले के द्वारा इकटठा बदला गया, जिसमे कई समूह फर्जी थे, तथा कुछ ऑफिस में काम करने वाले कम्प्यूटर ऑपरेटर के परिवार के थे, 170 समूहों को बदल कर बिना ग्रेडिंग मैपिंग के ही मिड डे मील चलाने का आदेश अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का बीइओ के द्वारा किया गया। साथ ही कुकिंग कास्ट का भुगतान जान बूझकर विलंब से दिया जाना, वहीं लेखापाल अम्बष्ट के द्वारा 13000 रुपये के रिश्वत लेने का मामला भी साबित हुआ, पर कार्यवाही 1 महीने के बाद भी नही हुई ।

तो अब शिकायतकर्ता ग्रामीण आरटीआई के माध्यम से जांच रिपोर्ट हासिल कर ज्ञापन सीधे सीएम, शिक्षा मंत्री, सचिव, प्रमुख सचिव को ज्ञापन जांच रिपोर्ट सहित सौंपा है। फिलहाल खुलासे से मामला गम्भीर है और सरकार की मंशा के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने आये 25 संकुलों के स्थापना व्यय के गबन का प्रमाणित होने के बाद शिकायतकर्ता जो अधिंकाश आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग के समाज प्रमुख लोग हैं, कार्यवाही कब होगी इसका इंतजार कर रहे है, इन सामाजिक प्रमुखों के ज्ञापन की माने तो सामाजिक स्तर पर क्षेत्र में आक्रोश है ! वहीं अब शिक्षा विभाग में हड़कंप है, मगर इंतजार कार्यवाही का भी।

वहीं बताया जा रहा है जिला स्तर पर इस भर्ष्टाचार के गवाह रहे संकुल समन्वयकों का ट्रांसफर किया गया है, जो इस भ्रस्टाचार को दबाने की कोशिश के रूप में कहा जा रहा है, हालांकि तत्तकालीन डीईओ के द्वारा यह भी माना गया कि बीइओ के गलत प्रस्ताव पर साथ ही विकासखण्ड के पोर्टल को अपडेट नहो होने के कारण ऐसा हुआ। भले वो स्थानांतरण नीति नियम के विरुद्ध हुआ।