पंचायतों के वार्षिक कार्य योजनाओं को दरकिनार कर दबाव पूर्वक वित्त आयोग के राशि का हो रहा है बंदरबांट

आशीष दास

कोंडागांव । गोधन न्याय योजना के तहत लगभग साल भर पहले जनपद पंचायत फरसगांव सहित जिले के कई ग्राम पंचायतों में दो-दो साइकिल रिक्शा की खरीदी की गई थी। जिससे गांव की गलियों में जाकर घरों से गोबर इकट्ठा कर गौठानो में ले जाकर जैविक खाद बनाने गोबर इकठ्ठा करने के लिए रिक्शे लिए गए थे। लेकिन इन रिक्शो का कोई उपयोग नज़र नहीं आ रहा है और पड़-पड़े कबाड़ में तब्दील हो गए हैं। इनमें जंग लग चुकी है, टूट-फूट चुके हैं। इस पर किसी का ध्यान नहीं है। राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजना गोधन न्याय योजना का अधिकारी व ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि तबाह करने में लगे हुए हैं और न्याय योजना के नाम पर शासन के राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है।

जिले में हों रहा है वित्त आयोग के राशि का बंदरबांट-

दरअसल, जिले के ग्राम पंचायतों में वित्त आयोग के राशि पंचायतों के खाते में जारी होने के बाद कुछ राजनीतिक संरक्षण प्राप्त ऊंची पहूंच वाले रसूखदार व्यापारी व उनके दलाल एका-एक सक्रिय हो जाते हैं, और ग्राम पंचायतों के वार्षिक कार्य योजनाओं को दरकिनार कर संबंधित अधिकारियों एवं ग्राम पंचायतों के सरपंच सचिवों पर राजनीतिक दबाव बनाकर या मोटी कमिशन का लालच देकर अपना सामान जैसे, गोधन रिक्शा, नलकुप खनन, स्कुल फर्नीचर, कोविड कीट, ई-पंचायत बोर्डव डेस्क, सहित अन्य कई निम्न गुणवत्ता वाले कई सामान ऊंची दर पर मनमानी बील लगाकर उतार दिया जाता है और राजनीतिक व आधिकारिक दबावपूर्ण पंचायतों से राशि का आहरण कर लिया जाता है।

पत्रिका प्रतिनिधि द्वारा नाम न छापने की शर्त पर कुछ पंचायत प्रतिनिधियों से बात करने पर पता चला कि व्यापारियों द्वारा स्थानीय बाजार से अधिक मूल्य निम्न गुणवत्ता वाले सामाग्री पंचायतों में सप्लाई की जाती है, पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा इसका विरोध करने पर संबंधित अधिकारियों और राजनेताओं का फोन के माध्यम से उस पंचायत में दबाव बनाया जाता है और जबरदस्ती सामान डंप किया जाता है। इस विषय पर अधिकारियों से पूछने पर अधिकारी साफ पंचायतों द्वारा खरीदी करने की बात करते हुए अपना पल्ला झाड़ देता है।

जांच का विषय-

वित्त आयोग के राशि का इस प्रकार बंदरबांट से यह स्पष्ट पता चलता है कि गांव के विकास हो ना हो परंतु अधिकारियों और नेताओं की विकास जरूर हो रहा है। इस गोरखधंधे में ऊपर से नीचे तक कमीशन का खेल प्रतीत होता है। इस विषय पर उच्च स्तरीय जांच होने पर पूरा मामला सामने आ सकता है।

क्या कहते हैं जिला पंचायत सीईओ-

इस विषय पर जिला पंचायत सीईओ प्रेम प्रकाश शर्मा से बात करने पर उन्होंने कहा कि मैंने जनपद सीईओ से इस खरीदी के विषय में जानकारी मांगा हूं जानकारी आते ही आपको दे दिया जाएगा, वही वित्त आयोग के राशि से खरीदी करने की बात पर उन्होंने कहा कि पंचायत इस खरीदी में खुद जिम्मेदार है इन्हें जिला वह विकासखंड से सामाग्री क्रय हेतु कोई लिखित आदेश नहीं है। पंचायत खुद वित्त आयोग की राशि का इस्तेमाल कर पंचायतों में सामग्री खरीदी करता है।