मवेशियों का चारा सड़ गया, पानी में काई, खरीदे गए गोबर भी खराब

जशपुर। गोठानों की स्थिति पर अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं। सिर्फ व्यवस्था बनाने के लिए खर्च के दौरान अधिकारियों ने दिलचस्पी दिखाई। लाखों रुपए खर्च करने के बाद अब गोठान को ऐसे ही छोड़ दिया गया है। ना तो गोठान में मवेशी हैं और ना ही गोठानों के माध्यम से रोजगार मूलक काम हो रहे हैं। जशपुर के गम्हरिया गोठान के बाद ओडिशा सीमा से लगे फरसाबहार ब्लॉक के ग्राम भेंलवा के मेंडेर में बने गोठान का भी यही हाल है। भेंलव का मेंडेर गोठान बीते कई महीनों से वीरान पड़ा है। जब इस गोठान का भास्कर की टीम ने जायजा लिया तो यहां बनाई गई सभी व्यवस्थाएं खत्म होती हुई मिली।इस गोठान में मवेशियों के चारे के तौर पर पैरावट रखा गया है जो कि बरसात में भीगकर सड़ चुका है। इसे मवेशी नहीं खाएंगे। मवेशियों के पानी पीने के लिए जो टैंक बनाए गए हैं, उसमें बरसाती पानी भरा है और पानी में काई जमी हुई है। इस पानी को मवेशी तो नहीं पी रहे हैं पर मच्छर जरूर पनप रहे हैं। गोठान में गोबर खरीदी का काम भी किया गया है और गोबर बेचने वालों को लाखों रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है। पर यहां गोबर से खाद बनाने का काम नहीं चल रहा है। बल्कि खरीदा गया गोबर मिट्टी में दबा हुआ है। बताया जाता है कि यहां गोबर के साथ-साथ मिट्टी भी खरीदी गई है।अफसर गोठान की नहीं कर रहे मॉनिटरिंग ग्रामीणों ने बताया कि गोठान का उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है। मवेशी पहले की तरह ही जंगल में चरने जाते हैं। गोठान की मॉनिटरिंग अफसर नहीं कर रहे हैं। इसलिए गोठान के शुभारंभ के बाद यहां ना तो कोई नई व्यवस्था बनी ना तो इसका संचालन हो पाया। बताया जाता है कि जिम्मेदार अफसर गोठान खुलने के बाद एक बार भी यहां झांकने नहीं पहुंचे हैं। जबकि हाल ही में गम्हिरया गोठान की तस्वीरें सामने आने के बाद कलेक्टर ने सभी जिम्मेदार अफसरों को गोठानों की ताकि गोबर खरीदी के लक्ष्य को पाया जा सके।लोगों को सचिव के दर्शन सप्ताह में सिर्फ एक बार सचिव चंदराम यादव की लापरवाही के कारण भी यह स्थिति बनी हुई है। भेंलवा से करीब सचिव करीब 25 कि‍मी दूर रहता है। ग््रामीणों को इनका दर्शन सिर्फ सप्ताह में एक बार ही होता है।पैरावट दान कराया जाएगा भेंलवां के गोठान के लिए अभी पैरावट दान करने की अपील की जाएगी। वहां पानी की व्यवस्था के लिए जल्द ही क्रेडा से कनेक्शन जुड़वाया जाएगा। पानी की व्यवस्था अभी नहीं हो पाई है। धनेश टेंगवार, सीईओ, फरसाबहार