100 सदस्यों का चौरड़िया परिवार एक साथ मनाते हैं दिवाली व होली पर्व…चौरड़िया परिवार द्वारा सुरपा में किया गया दीवाली मिलन समारोह का आयोजन

पाटन।चौरड़िया परिवार द्वारा इस बार दीपावली मिलन समारोह का आयोजन सुरपा में किया गया। जहां चार पीढ़ी के करीब 100 सदस्यों ने अपनी उपस्थिति देकर समारोह में चार चांद लगाया। मिलन समारोह में लाजबाव व्यंजन अनेकों रोचक प्रतियोगिताओं का लुफ्त सदस्यों ने उठाया। ठहाकों के बीच संस्कार की विरासत आदान प्रदान होती गई। विदित हो कि जामगांव आर, सुरपा, ओदरागहन, बटरेल, गुण्डरदेही, भिलाई में निवासरत चौरड़िया परिवार एक छत के नीचे दीपावली और होली मिलन समारोह पूर्व चयनित स्थान पर करते हैं। जिसने छोटे से छोटा बच्चा और बुजुर्गों की एक साथ महफिल जमती । जिसमें संस्कार की विरासत बंटती है।

पूर्व जनपद सदस्य वयोवृद्ध हस्तीमल चौरड़िया, समाज सेवी पूनमचंद चौरड़िया, ममतामई गोदावरी बाई चौरड़िया, कुसुम देवी चौरड़िया, प्रथम पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं और संस्कार भरी विरासत में फल फूल रहे परिवार को देख आनंदित होते हैं। दूसरे पीढ़ी का प्रतिनिधित्व का सिरमौर गौतमचंद धरमचंद, संतोष, प्रेमचंद, सुरेश, भीखमचंद, रूपचंद, प्रमोद, विनोद, मुकेश, जितेंद्र, तरुण, नरेंद्र, जिनेश चौरड़िया आदि करते हुए संस्कार विरासत को सतत आगे उत्तरोत्तर क्रम में बढ़ा रहे है।

‘संस्कार’ विरासत का अनमोल रत्न है

भखारा राल जैन समाज अध्यक्ष गौतम चंद चौरड़िया ने कहा कि संस्कार की विरासत बच्चे देखकर प्रभावी ढंग अच्छा सीख पाते हैं। माता-पिता स्वयं संस्कार के लिए रोल मॉडल बने तब संस्कार की विरासत पीढ़ी दर पीढ़ी प्रभावी ढंग से बढ़ती चली जाएगी और संतान संस्कारितं बन पाएंगे। उन्होंने कहा कि संस्कार विरासत का अनमोल रत्न है।

बहुएं भी संस्कार की विरासत को गति देने में भूमिका निभाती हैं

सुरपा शासकीय हाईस्कूल शाला विकास समिति अध्यक्ष प्रमोद चौरड़िया ने कहा कि जब परिवार के 100 सदस्य एक साथ मिलते हैं संस्कार की गंगा स्वमेव प्रवाहित होने लगती है। बड़ों के चरण स्पर्श से प्रारंभ संस्कार पूर्वजों के मार्गदर्शन प्राप्त कर आगे बढ़ती हैं। अन्य परिवार से आने वाली बेटियां इस परिवार की बहू बनकर संस्कार की धारा में शामिल हो जाती है और संस्कार की विरासत को ठगति देने में महती भूमिका निभाती है।