विचक्षण जैन विद्यापीठ के ट्रस्टी महेश कोठारी का व्यवस्थाओं में पूर्ण सहयोग रहा। बता दे कि पर्युषण पर्व नियमित आराधना का कार्यक्रम स्नात्र पूजा से प्रारंभ हुआ। पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रवचनों के माध्यम से तीर्थंकरों के जीवन चारित्र का श्रवण बच्चों के द्वारा किया गया। जिससे बच्चों में जैन धर्म की सही समझ विकसित हुई।
प्रतिदिन संध्याकालीन प्रतिक्रमण, परमात्मा की आरती, भक्ति में बच्चों का उत्साह अपूर्व रहा।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी बच्चों ने उत्साह व उमंग के साथ हिस्सा लिया इसमें धार्मिक व आध्यात्मिक भाषण प्रतियोगिता, भक्ति प्रतियोगिता धार्मिक खेल नेम-राजुल नाटिका के कार्यक्रमों के द्वारा अपनी प्रतिभाओं का विकास किया। साथ ही ध्यान के प्रयोग से क्षमायाचना की। तपस्या में भी बच्चे आग रहें। 4 बच्चों ने 9 उपवास, 14 बच्चों ने तेले की तपस्या, 23 बच्चों ने अक्षय निधि, 16 बच्चों ने मोक्ष तप, 40 बच्चों ने प्रतिदिन एकासन, शेष बच्चों ने एकासना व बियासना के साथ पर्यूषण पर्व की आराधना की।
परमात्मा की जन्म वाचन के दिन विभिन्न नियमों का नियम बच्चों द्वारा लिया गया। संवत्सरी पर्व पर छात्रावास के लगभग सभी बच्चों के द्वारा पौषध की आराधना की गई। क्षमापना पर्व पर अक्षय निधि के तपस्वियों की कलश यात्रा व भव्य वरघोड़ा निकाला गया।
सभी तपस्वियों के बहुमान के साथ पर्युषण पर्व का आनंद के साथ समापन हुआ । समापन समारोह में बच्चों के पालकगण व विचक्षण जैन विद्यापीठ के ट्रस्टी राजेश सावनसुखा, सुनील गोलछा, व राजेश गिडिया उपस्थित थे।