उमरपोटी की चित्रा ने 1.8 एकड़ जमीन पर गुलाब की खेती से कमाए 8 लाख

दुर्ग । चित्रा सिंह ने अपनी उमरपोटी गांव की जमीन पर गुलाब की खेती कर उसे सोना उगलने में मजबूर कर दिया। आज वह फूलों की खेती के इस व्यवसाय से 12 लोगों को रोजगार दे रही हैं, जिसमें 10 महिलाएं और 2 पुरुष शामिल हैं। उनका कहना है कि अपने स्व-रोजगार के साथ उन्होंने दूसरों को जो रोजगार दिया है, वह उनके जीवन को बहुत ही संतुष्टि देता है। आज उनके साथ काम करने वाली 10 महिलाएं ग्रहणी हैं जो घर की पालनहार भी हैं।

वेडिंग प्लानर को भी सप्लाई कर रही है गुलाब का फूल-

चित्रा ने बताया कि उनके द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले खिले हुए गुलाबों का उत्पादन किया जाता है जो कि डेकोरेशन में सबसे ज्यादा उपयोग में लाए जाते हैं। उनके गुलाब के क्वालिटी से प्रभावित होकर कई वेडिंग प्लानरों ने उनसे डेकोरेशन के लिए गुलाब लिया है। वो भिलाई के सेक्टर-6, दुर्ग और राजनांदगांव में भी अपने फूलों की सप्लाई करती हैं।

डॉक्टर बेटी के सफर में अपने फूलों के व्यवसाय से किया योगदान-

चित्रा हमेशा चाहती थी कि वो अपनी बेटी के भविष्य निर्माण में अपना योगदान दें। फूलों के इस व्यवसाय से आज उनका यह सपना भी पूरा हो गया। उन्होंने जैसे ही गुलाब की खेती शुरू की ठीक उसके बाद उनकी बेटी का सिलेक्शन एमबीबीएस के लिए शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज में हो गया। आज उनकी बेटी ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर ली है और वर्तमान में उनका इंटरशिप चल रहा है।

चित्रा सिंह ने बताया कि शादी के पश्चात हाउस वाइफ के रूप में वह अपना जीवन जी रहीं थी। घर का काम करने के बाद उनका समय व्यतीत नहीं होता था, जिससे उनके मन में घर के कार्य के साथ-साथ प्रकृति के साथ जुड़कर कुछ कार्य करने का विचार आया। बचपन से ही उन्हें बागवानी का बड़ा शौक था जिसे ध्यान में रखकर उन्होनें उमरपोटी में उनकी खाली पड़ी जमीन पर खेती का विचार किया। इसके लिए उन्होंने उद्यानिकी विभाग से संपर्क किया जहां विभाग के द्वारा उन्हें पॉली हाउस में गुलाब की खेती करने की सलाह दी गई। इसके लिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक भिलाई से लोन लिया और उद्यानिकी विभाग द्वारा पाली हाउस बनवाने एवं गुलाब की खेती के लिए अनुदान प्राप्त किया। उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में शुरुआती 3 महीने के अंतराल में ही गुलाब का उत्पादन शुरू हो गया। वह लगभग 1.8 एकड़ जमीन पर गुलाब की खेती कर रही है। शुरुआत में उनकी मंशा खाद्यान्न के खेती की थी परंतु उनके मन में अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना और बेटी के पढ़ाई में सहयोग करना, दोनों विचार थे जिसके लिए उन्होंने रिस्क लेते हुए समय की मांग के अनुरूप उद्यानिकी विभाग के सहयोग से गुलाब की खेती करने का निर्णय लिया। उद्यानिकी विभाग ने उन्हें वर्तमान में डेकोरेशन में फूलों के महत्व को समझाते हुए राष्ट्रीय बागवानी योजना के अंतर्गत मदद दी। आज चित्रा अपने पॉली हाऊस से 3 लाख 37 हजार कट फ्लावर मार्केट में उपलब्ध करा रही है। उत्पादन में उनके द्वारा लगभग 02 लाख रूपए की राशि खर्च की जा रही है। वहीं उन्हें 08 लाख रूपए का शुद्ध लाभ भी हो रहा है। आज उनकी इस सफलता को देखकर उनके आस-पास के किसान भी नए तकनीक से खेती करने के लिए और खाद्य फसलों के आलावा व्यवसायिक फसलों के लिए भी प्रेरित और प्रोत्साहित हो रहे हैं। खोपली में भी कुछ किसानों के द्वारा इसकी शुरुआत की गई है। चित्रा आज न केवल अपने पांव पर खड़ी हैं बल्कि अपनी बेटी के लिए एक आदर्श बन कर उभरी हैं।