Climate Change: रिकाॅर्ड बारिश के बाद भी बढ़ी तपिश; जलवायु परिवर्तन से 158 जिलों में सामान्य से अधिक वर्षा

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मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन ने मानसून की पारंपरिक धारा को बदल दिया है। पहले  मानसून की प्रणाली उत्तर की ओर चलती थी अब यह दक्षिण और मध्य भारत में अधिक सक्रिय हो रही है। इसकी वजह से कई क्षेत्रों में लगातार भारी बारिश और  तापमान में अचानक वृद्धि हो रही है। इसी कारण मानसून 2024 के दौरान देशभर में रिकॉर्ड तोड़ बारिश और असामान्य तापमान दर्ज किया गया। यह स्थिति लोगों को असहज बना रही है। भविष्य में स्थिति और गंभीर होने की संभावना है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुद्र की सतह का तापमान बढ़ रहा है और ज्यादा वाष्प बन रही है। यह वाष्प बादलों में बदल जाती है इसीलिए बरसात अधिक हो रही है। इसी तरह पृथ्वी का तापमान प्रति डिग्री सेल्सियस बढ़ने से मानसूनी बारिश में करीब 5 फीसदी की वृद्धि हो रही है। बादल फटने और आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ रही हैं। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ही हाल के वर्षों में माॅनसून के प्रदर्शन में वार्षिक परिवर्तनशीलता में वृद्धि दर्ज की गई है।

48 जिलों में अत्यधिक बारिश की गई रिकॉर्ड
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार मौजूदा मानसून के दौरान देशभर में सामान्य से अधिक बरसात हुई। इस बार 1 जून से 30 सितंबर तक मौसमी औसत 868.6 मिमी के मुकाबले 934.8 मिमी बरसात दर्ज की गई। जून में अल-नीनो के प्रभाव की वजह से 11 फीसदी कम हुई थी। लेकिन इसके बाद जुलाई से सितंबर के महीनों में बारिश का रुख अप्रत्याशित रहा। देश भर के 729 जिलों में से 340 में सामान्य वर्षा हुई। जबकि 158 में सामान्य से अधिक और 48 जिलों में अत्यधिक बारिश हुई । 167 जिलों में और सबसे कम बारिश हुई और 11 जिलों में बारिश में गंभीर कमी दर्ज की गई। अगस्त माह में 753 स्टेशनों पर और सितंबर में 525 स्टेशनों पर बहुत भारी बारिश दर्ज की गई। यह पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले सबसे अधिक है।