पंडरिया।पंडरिया वनक्षेत्र अंतर्गत वन विकास निगम के जंगलों में लकड़ी कटाई करने तथा कटाई कर अतिक्रमण करने की मानो पूरी छूट दे दी गई है। पूर्व की कांग्रेस सरकार में भी कटाई जारी थी,वहीं सत्ता बदलने के बाद भी वनों में पेड़ों की कटाई जारी है।
कांग्रेस शासन में विभाग अधिकारी कुछ दिखावे की कार्यवाही कर लेते थे,लेकिन अब दिखावे की कार्यवाही भी नहीं होती।अधिकारी जंगलों की कटाई पर मूकदर्शक की भूमिका निभा रहे है।बदौरा मार्ग में उपवनमण्डल पंडरिया निगम के वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई धड़ल्ले से जारी है।

प्रतिदिन 150 से 200 पेड़ काटे जा रहे हैं।करीब 50 सायकल में लोग प्रतिदिन लकड़ी रखकर लाते हैं।जो तीन बार जंगल से लकड़ी लाते हैं तथा इसे नगर के होटलों में खपाते हैं।पेड़ों की कटाई के चलते जंगल का रकबा लगातार सिकुड़ते जा रहा है।जंगलो में सुबह 5 बजे से देर शाम तक कुल्हाड़ी की आवाज गूंजती है।जलाऊ लकड़ी से साथ सागौन के इमारती पेड़ भी काटे जा रहे हैं, जिन्हें नगर के बढ़ाई को बेच दिया जाता है।

इन सब घटनाओं की जानकारी वन विकास निगम के अधिकारियों को है लेकिन किसी प्रकार कार्यवाही नहीं की जाती है।नगर से सटे हुए क्षेत्र में ज्यादा कटाई होती है।लगातर वन क्षेत्र में कटाई के कारण वन्य जीव भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं,तथा इसी मानवीय हस्तक्षेप के कारणों से वन्य जीव मैदानों की ओर आ जाते हैं।
वन विकास निगम के एसडीओ पीताम्बर साहू से पूछने पर बताया गया कि आचार संहिता के बाद कार्यवाही की जाएगी।साथ ही कटाई पर लगातार कार्यवाही करने की बात कही है।
नोटिस के एक वर्ष बाद भी कार्यवाही नहीं – वन विकास निगम के अधिकारी वन क्षेत्र में अतिक्रमण व कटाई की खुली छूट दे रखी है।वहीं नोटिस देकर कार्यवाही करना भूल गई है,अथवा केवल नोटिस देकर कार्यवाही का दिखावा किया जा रहा है।विभाग के पास ऐसी क्या मजबूरी है कि नोटिस देने के एक वर्ष बाद भी कार्यवाही नहीं की जा रही है।क्रांति जलाशय के पास वन विकास निगम के करीब 13 एकड़ जंगल को काटकर खेत बनाया गया था,जिस पर निगम द्वारा मई 2023 में अतिक्रमण खाली करने का नोटिस दिया था। तत्पश्चात खाली नहीं करने पर दो नोटिस पुनः दिया गया।किन्तु अतिक्रमीत जमीन पर दो फसल लगने के बाद भी अतिक्रमण पर बेदखली की कार्यवाही नहीं हुआ है।अतिक्रमण खाली नहीं होने के कारण अतिक्रमण कारियों में अतिक्रमण करने की होड़ लग गई है।अतिक्रमण पर कार्यवाही नहीं होने के कारण अतिक्रमण को बढ़ावा मिल रहा है।हाल में ही पास में ही पेड़ो की कटाई कर पुनः अतिक्रमण किया जा रहा है।
वन क्षेत्र में नहीं रहते कर्मचारी– वन विभाग के कर्मचारी वन क्षेत्र में निवास नहीं करते हैं।जिसके चलते लकड़ी तस्कर व अतिक्रमणकारी बेख़ौफ़ हैं।कर्मचारियों के रहने के लिए वन क्षेत्र में क्वाटर तो बनाये गए हैं।लेकिन कर्मचारियों के नहीं रहने के कारण अधिकतर क्वाटर खंडहर होने लगे हैं।वहीं कर्मचारी वन क्षेत्र में दिखाई नहीं देते हैं।इसके अलावा निगम के अधिकारी सहित कर्मचारी को कटाई की सूचना देने पर फोन भी रिसीव नहीं किया जाता है। वन विभाग द्वारा कार्यवाही नहीं होने से अतिक्रमण कारियों व लकड़ी तस्करों में कोई भय नहीं है।वनों को सुरक्षित रखने के लिए राजस्व विभाग को दखल देना चाहिए,जिससे वनों को सुरक्षित रखा जा सके।