साभार अमर उजाला डिजिटल
एक जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू हो गए। इसके बाद आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) को लागू कर दिया जाएगा। यह तीनों ही पिछले साल संसद में पास होकर कानून का रूप ले चुके हैं।

भारतीय न्याय संहिता 2023 (बीएनएस) में मुख्य परिवर्तन…
. आईपीसी में धाराओं की संख्या 511 से घटाकर बीएनएस में 358 कर दी गई हैं।
. 20 नए अपराधों को जोड़ा गया है।
. कई अपराधों के लिए अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है।
. छह छोटे अपराधों के लिए सामूदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है।
. कई अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है।
. कई अपराधों में सजा की अवधि को बढ़ाया गया है।
भारतीय न्याय संहिता 2023 (बीएनएस) की कुछ विशेषताएं…
. महिला और बच्चों के खिलाफ अपराधों को एक अध्याय में समेकित किया गया है।
. धारा 69 झूठे वादे पर यौन संबंध बनाने पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।
. धारा 70 (2) सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है।
आम लोगों के लिए यह बदलेगा
- छोटी सी छोटी शिकायत दर्ज कराने के लिए थानों के चक्कर लगाने या पुलिसकर्मियों को रिश्वत देने का दौर खत्म हो जाएगा।
- हत्या, लूट, दुष्कर्म की भी ऑनलाइन एफआईआर दर्ज होगी।
- एक जिले में हुए अपराध की जीरो एफआईआर दूसरे जिले में कराई जा सकेगी। थाना क्षेत्र का हवाला देकर पुलिस टरका नहीं सकेगी।
- केस दर्ज कराने के बाद जांच से लेकर आगे की कार्रवाई तक सारी सूचना मोबाइल पर एसएमएस के जरिये फरियादी को दी जाएगी।
महिला अपराधों के प्रति बढ़ी संवेदनशीलता : दुष्कर्म के मामलों में अधिकतम फांसी की सजा
महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कानून ज्यादा संवेदनशील बनाए गए हैं। अब पीड़िता जहां चाहेगी, पुलिस को वहां बयान दर्ज करना होगा। दुष्कर्म के मामलों में न्यूनतम 10 साल से लेकर अधिकतम फांसी, जबकि सामूहिक दुष्कर्म में 20 साल से फांसी तक का प्रावधान। हालांकि फांसी का प्रावधान नाबालिग से दुष्कर्म के मामलों में ही होगा।