दो सौ साल पूर्व स्थापित किए बेलरगांव के दंतेश्वरी मांई करती है सभी कि मनोकामनाएं पूरी

नगरी,सिहावा,बेलरगांव

धमतरी जिले के नगरी विकास खण्ड बेलरगांव तहसील के मुख्यालय बेलरगांव में प्राचीन दंतेश्वरी मांई को दो साल पूर्व स्थापित किया गया था। जानकार बताते हैं की यहां जो भी मांगे रखते हैं श्रद्धालुओं के द्वारा दंतेश्वरी मांई सभी का करते मनोकामनाएं पूरी। क्वांर नवरात्र एवं चैत्र नवरात्र पर भक्तों के द्वारा ज्योति प्रज्ज्वलित करते हैं ।कई सालों से इस दंतेश्वरी मांई के मंदिर में कुल 321 ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं जिसमें तेल ज्योति 306 और 15 घी ज्योति जल रहे हैं।

*इस दंतेश्वरी मांई का महिमा बहुत ही चमत्कारी है ग्राम पटेल अमरसिंह पटेल, ग्राम समिति अध्यक्ष लिलबंर साहू, पूर्व ग्राम समिति अध्यक्ष शशिभूषण भारती, संरक्षक कैलाश प्रजापति ने जानकारी के अनुसार बताया की 125 साल पूर्व सड़कों का साधन नहीं हुआ करता था। पहले बंजारा (नायक) जाति के द्वारा व्यापार करने के दौरान उसका लस्कर (खाडुं) जो है दंतेवाड़ा पहुंचा था।उस समय एक चौड़ी पत्थर बंजारा जाति के लोगों को मिला।

फिर उस पत्थर को कुटाई एवं पिसाई करने के लिए अपने पास रख लिए । और उस लस्कर की वापसी बेलरगांव में हुई। उसके साथ बहुत सारे लोग एवं जानवरों को भी अपने साथ में रखें रहें । फिर उस पत्थर में मिर्ची एवं अन्य समाग्री का कुटाई पिसाई भी किए । इसी दरमियान में खाड़ु लस्कर के सरदार को मां दंतेश्वरी मांई का सपना आया जो आप अपने साथ में पत्थर लाएं हो । उसमें आप कुटाई पिसाई किए हो उससे मेरे शरीर में जलन हो रही है ‌। में बहुत परेशान हुं ।

तब उस सरदार का अचानक नींद खुला फिर सरदार ने साफ सफाई कर उस पत्थर को पुराना हटवारापारा में स्थापित कर।उन लोग वहां से फिर चले गए। फिर गांव में कुछ वर्षों बाद एक हैजा बीमारी आया। फिर बेलरगांव के बुजुर्गो ने शितला मांई के पास अर्जी विनती किए ।और देवी शितला को बुलाया फिर शितला मांई ने बताया की गांव में एक और देवी है।

आप लोग उसके शरण में जाओ वहीं आप लोगों का दुख दूर कर सकती हैं। फिर गांव के बुजुर्गो ने उसकी शरण में गए फिर देवी ने कहा की आपकी तकलीफों को दूर कर सकती हूं।आप लोगों ने मुझे क्या दोगे तब गांव के बुजुर्गो ने कहा पहले फ़ूल आपको चढ़ाएंगे ।और आज भी दंतेश्वरी मांई का मड़ई मांग में होता है। जिसमें पहला फूल दंतेश्वरी मांई को चढ़ाया जाता है।

हटवारापारा में जहां पर उस पत्थर को स्थापित किया था उस स्थान पर जगह कम होने के कारण बेलरगांव के बस स्टैंड में ग्राम वासियों के सहयोग से मंदिर बनवाया गया। फिर उस दंतेश्वरी मांई को मंदिर में लाकर स्थापित किया गया।जो आज भी साक्षात प्रमाण है जो भी अपनी मन्नत मांगते हैं उसकी मनोकामनाएं पूरी होती है।