छत्तीसगढ़ की धरती पर खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं, लेकिन जब कोई बेटी सिर्फ खिलाड़ी नहीं बल्कि निर्णायक बनकर उभरती है, तो वह इतिहास रच देती है। हाल ही में देहरादून में संपन्न 21वीं अखिल भारतीय रेन्बुकन कराटे-डो चैंपियनशिप के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य की दो बेटियों ने एक नई और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। राष्ट्रीय स्तर की अनुभवी कराटे खिलाड़ी कुंती पाल और खरोरा ब्लॉक की उभरती हुई प्रतिभा कुमारी जास्मीन कोसले ने स्टेट रेफरीशिप परीक्षा (State Referee Exam) उत्तीर्ण कर पूरे राज्य को गर्व से भर दिया।
कुंती पाल, जो कि पहले से ही राष्ट्रीय स्तर की पदक विजेता कराटे खिलाड़ी रही हैं, ने इस बार केवल एक खिलाड़ी के रूप में नहीं बल्कि एक निर्णायक के रूप में भी अपनी पहचान स्थापित की। रेफरी के रूप में चयनित होना केवल एक परीक्षा उत्तीर्ण करने का कार्य नहीं, बल्कि कराटे के नियम, तकनीक और निष्पक्ष निर्णय क्षमता में परिपक्वता का प्रतीक होता है। कुंती पाल ने यह सिद्ध कर दिखाया कि वह न केवल अपने खेल में निपुण हैं, बल्कि अब वह उस स्तर पर पहुँच चुकी हैं जहाँ वे अन्य खिलाड़ियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने की योग्यता रखती हैं। उनकी यह सफलता छत्तीसगढ़ की बेटियों के लिए एक नई राह खोलती है, जो अब निर्णायक मंचों पर भी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने लगी हैं।
वहीं दूसरी ओर, ग्रामीण अंचल से आने वाली कुमारी जास्मीन कोसले, जिन्होंने खरोरा जैसे सीमित संसाधनों वाले क्षेत्र से निकलकर राज्य और अब राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाई है, ने स्टेट रेफरी परीक्षा में सफलता प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती। जास्मीन की यह सफलता उनके आत्मविश्वास, सतत परिश्रम और तकनीकी समझ का प्रतिफल है। कराटे के इस कठिन और अनुशासन-प्रधान क्षेत्र में रेफरी बनना एक अत्यंत प्रतिष्ठित और चुनौतीपूर्ण उपलब्धि मानी जाती है। उनकी इस उपलब्धि ने विशेष रूप से ग्रामीण परिवेश की लड़कियों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
छत्तीसगढ़ कराटे फेडरेशन के मुख्य प्रशिक्षक सेन्सेई रमाकांत एस. मिश्र ने दोनों बेटियों की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि – “कुंती और जास्मीन ने यह सिद्ध कर दिया कि छत्तीसगढ़ की बेटियाँ सिर्फ पदक जीतने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब वे निर्णायक भूमिकाओं में भी चमक रही हैं। यह राज्य में महिला सशक्तिकरण और खेल क्षेत्र की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।”
यह उपलब्धि केवल दो बेटियों की सफलता नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य की उस प्रगतिशील सोच का प्रतीक है, जहाँ लड़कियाँ खेल के हर मंच पर नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं। दोनों खिलाड़ियों की इस सफलता ने राज्य को न केवल गर्वित किया, बल्कि भविष्य की कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गई हैं।

- May 24, 2025
छत्तीसगढ़ की बेटियाँ बनीं राष्ट्रीय रेफरी, कराटे के मंच पर रचा नया इतिहास – कुंती पाल और जास्मीन कोसले ने स्टेट रेफरी परीक्षा उत्तीर्ण कर राज्य को किया गौरवान्वित
- by Ruchi Verma