अंडा में मनाई गई क्रांतिवीर सुखदेवराज की पुण्य तिथि,विधायक ललित चन्द्राकर और डोमन लाल कोर्सेवाड़ा ने अर्पित की श्रद्धांजलि

संजय साहू। दुर्ग ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत शा.उ. मा.शाला.अण्डा में भारतीय राज्य पेंशनर महासंघ व ग्रामपंचायत अण्डा के सयुक्त तत्वाधान में आयोजित
महान क्रांतिकारी सुखदेव राज की पुण्यतिथि पर आश्रम पहुंच कर दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर व अहिवारा विधायक डोमन लाल कोसेवड़ा के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित किया और उनको याद किया ।

आजादी के आंदोलन में शरीक कुछ नाम अमर हो गए, तो कुछ नाम गुमनामी के अंधेरे में खो गए। एक नाम जिसे पूरी दुनिया जानती है सुखदेव। वह सुखदेव थापर थे जो शहीदे आजम भगत सिंह व राजगुरु के साथ फांसी पर झूल गए। उस दौर में एक सुखदेव राज और थे भगत सिंह व चंद्रशेखर आज़ाद के साथी सुखदेव राज इलाहाबाद के जिस कंपनी बाग में पंडित जी शाहिद हुए उस दिन उनके साथ जो शख़्स बैठा था वह थे सुखदेव राज जिनकी समाधि स्थल दुर्ग के अंडा गांव में है।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से
साहित्य कार व कवि गुलवीर सिंह भाटिया सरपंच उमादेवी चंद्राकर भारतीय पेंशनर महासंघ अध्यक्ष बी के वर्मा , बी के शर्मा ज, के के साहू, सी . एल वर्मा , अजीत चंद्राकर, सांसद प्रतिनिधी मनोज चंद्राकर महामंत्री पुकेश चंद्राकर पानी पंचायत पूर्व अध्यक्ष तिलक चंद्राकर , विधायक प्रतिनिधी फेंकू चंद्राकर विधायक प्रतिनिधि बलदाऊ चौहान यशवंत देवांगन लोकेश देवांगन डी. पी. चंद्राकर,दीनदयाल साहू,आर.के.योगी , हेमेंद्र चंद्राकर ,उपसरपंच अमित चंद्राकर, पंचायत सचिव रूपेश राजपुत,पुकेश चंद्राकर, शाला के प्राचार्य सीमा जाम्बुलकर सहित शाला के समस्त स्टाफ
व बड़ी संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित रहें।

इस अवसर पर दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर महान क्रांति कारी सुखदेव राज जी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए बताया।सुखदेव राज का जन्म 8 दिसंबर 1906 को लाहौर के खत्री परिवार में हुआ था। पढ़ाई के दौरान वे क्रांतिकारी भगवती चरण बोहरा के संपर्क में आए और क्रांतिकारी दल में जुड़ गए। सुखदेव राज शहीदे आजम भगत सिंह व चंद्रशेखर आजाद के बाद निकटम साथी रहे। क्रांतिकारी आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से वे दो बार पकड़े गए थे। उन्हें दो बार तीन तीन साल की सजा हुई थी। 1931 में अल्फर्ड पार्क से निकलकर वह कहां गए यह किसी को पता नहीं, पर 1963 में वे दुर्ग आ गए। तब वह विनोबा भावे के सेवा भावना से प्रेरित होकर उनसे जुड़ चुके थे।

विनोबा भावे के कहने पर वे दुर्ग आए। कोलिहापुरी के चंद्राकर परिवार ने कुष्ठ आश्रम के लिए पांच एकड़ जमीन दी। यहीं रहकर सुखदेव राज कुष्ठ रोगियों की सेवा करते थे। दस साल उन्होंने यहीं रहकर लोगों की सेवा की। दुर्ग स्टेशन रोड स्थित पंचशील स्टूडियों के संस्थापक स्व.राज वर्मा, कोलिहापुरी निवासी स्व.गिरधारी दास मानिकपुरी, छत्तीसगढ़ सिख पंचायत के अध्यक्ष रहे मालवीय नगर दुर्ग निवासी स्व. हरभजन सिंह से उनकी गहरी दोस्ती थी। वे अक्सर पंचशील स्टूडियों में आकर बैठा करते थे। 1973 में सुखदेव राज का निधन हो गया।

इस अवसर पर अहिवारा विधायक डोमन लाल कोसेवड़ा ने क्रांतिवीर सुखदेव राज द्वारा किए कार्यों को याद किया और श्रद्धा सुमन अर्पित किया

साहित्य कार व कवि गुलवीर सिंह भाटिया ने उनके साथ दुर्ग में बिताए समय को याद कर भावुक हो गए और पुरा जीवंतवृत्तांत सुनाया अधिकतर दुर्ग में सदर बाजार के मार्केट में अधिकतर भाटिया जी साथ बैठते थे।

साथ ही इस अवसर पर एक गुमनाम स्वामी क्रान्तिवीर सुखदेव राज पुस्तक का विमोचन अतिथियों के कर कमलों से किया गया । साथ ही इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार जनों का सम्मान किया गया। और एक पेड़ मां के नाम आभियान के तहत पौधा रोपण किया गया। मंच संचालन त्रेता चंद्राकर और बी के शर्मा ने किया गया।