अन्नदाता किसान
न बारिश देखा न तुफान,न देखा कभी धुप
अच्छी फसल की आस में डटा रहा खेतों में किसान
उगाता है धैर्य से खेतो में अन्न,ताकि मिटा सके सबकी भुख।
भुलाकर अपनी तकलीफें झेलता है हर मौसम की मार,
खेतो में फसलों को अपने बच्चों की तरह देता स्नेह दुलार,
निरन्तर फसलों की देखरेख करता हुआ किसान,
देश के खुशहाली में अग्रणी भुमिका निभाता है किसान।
करे रखवाली अपने फसलों की बड़ी शिद्दत से,
तभी तो सजती है थाली रसोई की,
खुद की कहाँ सोचे किसान,
देश की प्रगति में देता है,अपना अतुलनिय योगदान
बनकर अन्नदाता करता है अन्नदान।