धनोरा मे चल रहा शत् चंडी यज्ञ एवं श्री हनुमंत कथा का रसपान करने  पहुंच रहे भक्त

अंडा। बाबा दरबार पावन धाम एवं समस्त ग्रामवासी धनोरा दुर्ग के विशेष सहयोग से हर साल की भांति इस वर्ष भी महावीर उद्यान में शत् चंडी यज्ञ श्री हनुमंत कथा श्री राम कथा की अविरल धारा बह रही है । दरबार के श्री लक्ष्मण बाबा जी ने बताया कि माघी पूर्णिमा मेला के पावन पर्व पर दो वर्ष से यज्ञ एवं श्री राम कथा का आयोजन किया जा रहा है सुबह 7 बजे से विद्वान पंडितों के द्वारा मंत्रों के साथ शत् चंडी यज्ञ 12 बजे तक एवं 1 बजे से हनुमंत कथा चल रहा है जिसमें भक्तों की अपार जन समुदाय पहुंच रहे हैं।

यज्ञ स्थल मे परिक्रमा करने एवं कथा का रसपान करने तिसरे दिन के कथा में बताया पंडित दीपक पाण्डेय ने अपने मुखारविंद से कहा कि युवा पीढ़ी में जोखिम लेने का हौसला है इस लिए परिस्थितिया कैसा भी आ जाए पीछे नहीं हटना चाहिए बुराई का त्याग जरुरी है जियो और दुसरे को जीने। मे सहायता करो का दिया संदेश कथा में बताया कि सुग्रीव जी राजा बनने के चार महिने बाद भी राम जी से मिलने नहीं गए और नहीं सीता जी की खोज करने का प्रयत्न किया ऐसे ही अपने कार्य के हो जाने पर हम भी भगवान को भुल जाते हैं लेकिन दुख मे सुमिरन सब करे सुख में करे न कोय जो सुख मे सुमरन करे तो दुख काहे को होए हनुमान जी सीता जी की खोज हेतु जब जाने लगे तो राम जी ने उन्हें अपनी अंगुठी उतार कर दे दी जिसे हनुमान जी ने मुख में रखा क्यो कि अंगुठी पर प्रभु श्री राम का नाम लिखा है और नाम मुख मेही रखना चाहिए बिना नाम के मुख की शोभा नहीं है जब सभी समुद्र तट पर पहुंचे तब कोई भी सागर पार करने मे सामर्थ नहीं हुआ पर अंगुठी के प्रभाव से हनुमान जी समुद्र पार कर ग ए हम भी भगवान के नाम प्रसाद के बल से संसार रुपी समुद्र को पार कर सकते हैं

आगे पंडित ने बताया कि भक्तगणो का भक्ति मार्ग के साथ तुम जियो और दुसरे को जीने में सहायता करो और स्वपन में भी किसी का बुरा न सोचो का मंत्र दिया जीवन मे कठिन परिस्थितियों का सामना के साथ करना है तथा भक्ति के द्वारा मन में दृढ़ता प्राप्त की जा सकती है हनुमान जी के कथा पर सुंदर मार्ग दर्शन कर भक्तों को मंत्र मुग्ध कर दिया आगे दरबार के लक्ष्मण बाबा ने कहा कि कही दुर जाने की जरूरत नहीं कथा रुपी गंगा मे डुबकी लगाने से भी मनका मैल धुल जाता है हमारे ग्राम में जो शत् चंडी यज्ञ हनुमंत कथा जो निरंतर चल रहे हैं उसमे आकर अपने जीवन को कृतार्थ करे और इस कथा प्रसंग में गोता लगा कर अपने इस मानव रुपी जीवन को कृतार्थ करे इस कथा मे डुबकी लगाने ग्रामवासी एवं बड़े दुर दुर से भक्त गण पहुंच रहे हैं

इस कथा के श्रोता गण विनोद साहू जीवराखन ठेकेदार मनोज पटेल रोमनाथ साहू बबलू गज्जू रायपुरीहा भोलू साहू मुनना गंधर्व दीलीप ठेकेदार सरदार हरचरण सिंह चीन्टू साहू रुपलाल साहू मनसुखा साहू गुलाब साहू ललित साहू योगेश साहू सुखी राम इतवारी पटेल हेमंत साहू कुंभकरण पटेल शिवचरण साहू झब्बू साहू सुखऊ राम साहू कल्याण देवांगन मारियल साहू वासुदेव स्प्रे सुंदर स्प्रे दिनेश साहू डोरे लाल दास भोले श्रीमती बबीता साहू ललित यादव श्रीमती क्षमा निधी सुनीता साहू देव  मंजू साहू अंजू देवांगन ललिता यादव लक्ष्मी साहू हितेश पटेल दशरि पटेल बुध कुंवर मुंगा स्प्रे रेखा पटेल दुर्गा साहू कु डिम्पल साहू छाया किरण साहू कु पुजा कु बेदू कु सुरुची छोटी कु नेहा साहू आदि ग्रामवासी ने बड़ी संख्या में उपस्थित रहे यह जानकारी दरबार प्रति निधी चंन्द्र कांत कोसरे एवं  कुंज लाल साहू ने दी।