पाटन। संकल्प, कर्म और शुद्धमति से जीवन मे सफलता ही नही, बल्कि नारायण भी प्राप्त हो जाता है। वहीं वासना, भोग और छल कल्याणकारी जीवन के अवरोध हैं। आजकल की पीढ़ी श्री कृष्ण के महारास की गलत व्याख्या करता है। जबकि वास्तव में श्रीकृष्ण का महारास भक्ति की साधना है। ग्राम सेमरी में चल रहे भागवत महायज्ञ कथा के सातवें दिन बालयोगी विष्णु अरोड़ा ने रूखमणी विवाह का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि रूखमणी का आशय ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण है। अखंड भक्ति व पूर्ण श्रध्दा परमात्मा को पाने का रास्ता है। वर्मा परिवार के तत्वाधान में आयोजित नवधा भागवत कथा में अंचल के लोग बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं। कथा हर दिन 3 से बजे चल रही है। कथा स्थल पर आज श्रीकृष्ण रूखमणी विवाह की झांकी प्रस्तुत की गई तथा छप्पन भोग की प्रसादी वितरित की गई।

- April 8, 2022