रिपोर्टर, चंद्रभान यादव
जशपुर। पत्थलगांव में शासन प्रशासन की लाख कोशिश के बाद भी धान खरीदी में हर साल राज्य सरकार को कराेड़ाें का नुकसान उठाना पड़ रहा है। 1 नवंबर से राज्य शासन ने सोसायटियों में किसानों से धान खरीदने का फरमान जारी िकया है, जिसे देखते हुए सोसायटियों में धान खरीदी की तैयारियां भी शुरू हो गई है। धान खरीदी में सोसायटी प्रबंधक व दलालों की मिलीभगत पर जिला प्रशासन रोक नहीं लगा पा रही है। दरअसल हर साल सोसायटी प्रबंधक व दलालों की मिलीभगत से दूसरे राज्यों का धान की खरीदी किसानों के धान से अधिक की जाती है।

इस कार्य में दलाल और पटवारी गिरदावरी का भरपूर लाभ उठाते है,यदि किसानों की गिरदावरी की जांच सही ढंग से की जाती तो दलालों के मार्फत आने वाले धान की बिकवाली पर रोक लगाई जा सकती थी, हर वर्ष राजस्व अमला किसानों की गिरदावरी तैयार करता है,परंतु तैयार गिरदावरी के मुताबिक किसान अपने खेतों में फसल नहीं उगा पाते।
अधिकांश किसान पर्चा पट्टा बनवाने के बाद भी खेतों में खेती नहीं करते, जिसका भरपूर लाभ धान खरीदी के दौरान दलाल उठाते है। ये खेती ना करने वाले किसानों के पर्चे पट्टे पर दूसरे राज्यों का धान यहां की सोसायटियों मे बेचकर शासन को नुकसान पहुंचाते हैं। इस कार्य में दलालों के साथ-साथ सोसायटी प्रबंधकों की भी अहम भूमिका रहती है।
प्रबंधक शासकीय बोरों में करते हैं हेराफेरी
सोसायटी के प्रबंधक दलालों से धान खरीदी के दौरान शासकीय बोरों में भी जमकर हेर फेर करते हैं। अनेक बार सोसायटी मे आने वाले बोरों में दलालों का धान सोसायटियों में बिकते देखा गया है। पिछले वर्ष भी एक सोसायटी के शासकीय बोरों में दलालों का धान बिकने पहुंचा था, जिसकी शिकायत के बाद जांच भी हुई पर जांच बेनतीजा निकली। बताया जाता है कि सोसायटी से मिलों में जाने वाले धान की भी अनेक बार दोबारा बेच दी जाती है,इस पूरे खेल मे प्रबंधक व बिचौलियों के बीच धान मे मिलने वाले बोनस का खेल बताया जाता है,जो कही न कही राज्य सरकार का ही नुकसान है।
गिरदावरी व धान के खरीदी के आंकड़े में है अंतर
क्षेत्र मे एक दर्जन से भी अधिक सोसायटी धान की खरीदी करते हैं,जहां यदि प्रशासन सतर्कता दिखाकर दलालों के मार्फत आने वाले धान पर रोक लगाती है तो राजस्व अमले के तैयार गिरदावरी व खरीदे जाने वाले धान के आंकड़े का फर्क स्वतः ही सामने आ जाएगा। बताया जाता है कि पिछले कुछ सालों से धान पैदा करने वाले किसानों की संख्या बढ़ते जा रही है। एक सोसायटी के आंकड़े के मुताबिक हर वर्ष 10 प्रतिशत किसान के साथ उनका रकबा भी बढ़ रहा है।