छत्तीसगढ़ राज्य में शिक्षा को प्रभावशाली और समावेशी बनाने के लिए छत्तीसगढ़़ सरकार ने कई सार्थक पहलें की हैं। इन्हीं पहलों में एक है शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण, जिसका मूल उद्देश्य है शासकीय शालाओं में दर्ज छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षकों की पदस्थापना। इस पहल से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि ऐसे स्कूलों में भी पढ़ाई की रफ्तार बढ़ेगी, जहां वर्षों से शिक्षक संकट की स्थिति बनी हुई है।
धरसीवां विकासखण्ड में सामने आई विसंगति
रायपुर जिले के धरसीवां विकासखण्ड में की गई हालिया समीक्षा में कई ऐसी शालाएं सामने आईं हैं, जहां छात्रों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, लेकिन वहां शिक्षक आवश्यकता से कहीं अधिक संख्या में पदस्थ हैं। जैसे शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कन्या सरस्वती नयापारा में केवल 33 छात्राएं हैं, जबकि 7 शिक्षक तैनात हैं। शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला कन्या रविग्राम में 82 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं और 8 शिक्षक कार्यरत हैं। शासकीय प्राथमिक शाला मानाकैम्प में 104 विद्यार्थी हैं और वहां 11 शिक्षक पदस्थ हैं। शासकीय प्राथमिक शाला तेलीबांधा रायपुर में 109 विद्यार्थी हैं, जबकि 9 शिक्षक हैं। शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पी.एल.वाई., बैरनबाजार में 98 विद्यार्थी हैं और 10 शिक्षक कार्यरत हैं।
इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि कुछ विद्यालयों में शिक्षक जरूरत से ज्यादा हैं, जबकि राज्य के अनेक अन्य क्षेत्रों विशेषकर सुदूर और वनांचल में, जहां छात्रों की संख्या अधिक है, वहाँ शिक्षकों की बहुत कमी है। यह असमानता बच्चों के शिक्षा के अधिकार और गुणवत्ता आधारित शिक्षा के रास्ते में बड़ी बाधा बन रही है।
युक्तियुक्तकरण है संतुलन और सुधार की रणनीति
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस असंतुलन को दूर करने के लिए युक्तियुक्तकरण का निर्णय लिया है। इस नीति के तहत विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात का गहन अध्ययन कर यह निर्धारित किया जा रहा है कि कहां कितने शिक्षक की वास्तव में जरूरत है और कहां उनकी अधिकता है। अधिशेष शिक्षकों को आवश्यकता वाले विद्यालयों में पदस्थ किया जाएगा, ताकि सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। यह प्रक्रिया वास्तव में छात्रों की संख्या के अनुपात में शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार की प्राथमिकता बच्चों को गुणवत्ता आधारित शिक्षा उपलब्ध कराना है, चाहे वे राजधानी में पढ़ते हों या बस्तर के किसी सुदूर गांव में। उन्होंने शिक्षा विभाग को निर्देशित किया है कि किसी भी विद्यालय में शिक्षक की कमी न रहे और हर बच्चा समान अवसर पाए। श्री साय का कहना है, शिक्षक हमारे शिक्षा तंत्र की रीढ़ हैं, लेकिन जब वे आवश्यकता से अधिक संख्या में एक ही स्थान पर केंद्रित हो जाते हैं, तो इससे अन्य क्षेत्रों में शैक्षणिक असंतुलन पैदा होता है। युक्तियुक्तकरण से हम इस असंतुलन को दूर करेंगे। शिक्षा के क्षेत्र में यह सुधार केवल प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह समानता, न्याय और गुणवत्ता की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

- May 30, 2025
धरसीवां में दर्ज संख्या से अधिक शिक्षक, छत्तीसगढ़ सरकार का युक्तियुक्तकरण अभियान बना संतुलन की कुंजी
- by Ruchi Verma