नया शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले जर्जर स्कूल भवनों का किया जाएगा संधारण, जशपुर जिले में 525 स्कूल है बदहाल

रिपोर्टर- प्रभा यादव

जशपुर : जिले के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्राें में प्राइमरी स्कूलों की हालत बेहद खराब है। नौनिहाल जान जोखिम में डालकर बदहाल स्कूलों में पढ़ने मजबूर है। जिले के बदहाल स्कूल भवनों की जानकारी कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों को देने के बाद पिछले दो दशक तक विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की थी, लेकिन हाल ही में अब राज्य में विभिन्न स्कूल भवनों की मरम्मत और रखरखाव के लिए 500 करोड़ रुपए की धनराशि मंजूर की गई है।

जिले के स्कूलों की मरम्मत के लिए 48 करोड़ रुपए की राशि जशपुर जिले को मिली है। सीएम ने खुद इस बात को गंभीरता से लेते हुए धनराशि स्वीकृत करते हुए और मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिया कि जून 2023 में अगले शैक्षणिक सत्र के शुरू होने से पहले स्कूल भवनों की मरम्मत और रखरखाव का काम पूरा कर लिया जाए। विभाग द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक जिले भर में 525 स्कूल भवन की हालत बदहाल है।

इतनी अधिक संख्या में स्कूलों में मरम्मत की सख्त जरूरत है। बदहाल भवन की वजह से बरसात के दिनों में स्कूली बच्चों के लिए अलग से व्यवस्था बनानी पड़ती थी। पिछली बरसात में बगीचा ब्लॉक के कलिया माध्यमिक शाला से कक्षा के कमरों में बैठे बच्चों के छाता तानकर पढ़ाई करने की तस्वीरें सामने आई थी। फरसाबहार क्षेत्र में सबसे अधिक 151 स्कूल भवन बदहाल हालत में हैं। बदहाल भवन में बच्चों की ना सिर्फ पढ़ाई प्रभावित हाे रही है, बल्कि बच्चों की जान को भी खतरा बना हुआ है। कुनकुरी ब्लाॅक के प्राथमिक शाला घटमुंडा में 56 बच्चे इस वर्ष पढ़ाई कर रहे हैं।

जिले में कुल 525 बदहाल स्कूल भवन है। इनमें जशपुर में 55, मनोरा में 30, बगीचा में 35, दुलदुला में 68, कुनकुरी में 55, कांसाबेल में 71, फरसाबहार में 151 और पत्थलगांव में 60 भवन शामिल हैं।स्कूल मरम्मत की निविदा के लिए आरईएस विभाग ने प्रत्येक आवेदन का शुल्क 750 रुपए निर्धारित है। जिसमें लगभग 1400 फॉर्म जमा हुए है। इससे विभाग को लगभग 10 लाख रुपए का राजस्व मिला है।

सरपंच संघ स्कूल मरम्मत के काम को पंचायत से कराने की मांग कर रहा है। विभाग द्वारा ग्राम पंचायतों को कार्य एजेंसी नहीं बनाए जाने का निर्देश जारी हुआ है, जो कि नियम के खिलाफ है।उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा पंचायतों को सशक्त बनाएं जाने के लिए 20 लाख के अधिकार को बढ़ाकर 50 लाख किया गया है, लेकिन एक लाख से लेकर 10 लाख रुपए तक का सुगम सड़क व अन्य निर्माण कार्य ठेकेदारों को टेंडर प्रदाय किए 1 वर्ष से अधिक हो गए किंतु आज पर्यंत निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया गया। साथ ही जल जीवन मिशन अंतर्गत पानी टंकी और सड़क मरम्मत कार्य तक ठेकेदारों के भरोसे अटका हुआ है,