कोंडागांव/बोरगांव । भाई-बहन के अटूट स्नेह का पर्व है रक्षाबंधन। इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखियां बांधकर उनकी सलामती की कामना करती हैं। वहीं भाई भी उनकी सुरक्षा का वचन लेता है। क्षेत्र में रक्षाबंधन का पर्व गुरुवार को मनाया गया। इस दौरान प्यारा बंधन के बीच मार्मिक वाकया सामने आते ही मन द्रवित हो उठा। दरअसल, विकासखंड फरसगांव के अंतर्गत ग्राम बड़ेडोंगर के भैंसाबेड़ा की एक दिव्यांग बहन द्वारा बड़ी तकलीफों के साथ भाइयों की आरती उतार कर अपने दोनों भाईयों की कलाई पर राखी सजाते हुए भाई बहन का प्यार देखकर मन पसीज गया। बड़ेडोंगर निवासी आनंदी मांझी ने बताया कि उनकी 19 वर्षीय बेटी मनीषा दिव्यांगता पर मात देते हुए दोनों विकलांग हाथों से सभी काम व लिखने के साथ साथ राखी भी बांधती है।
जन्मत: दिव्यांग है मनीषा-
बता दें कि, मजदूर आनंदी मांझी एवं मानवती मांझी की तिसरी नंबर की संतान मनीषा जन्मत: ही दिव्यांग है। उसके दोनों हाथो में से एक हाथ अर्ध विकसत एवं दूसरा पूर्ण विकलांग हैं। वह बचपन से ही अपना काम स्वयं कर लेती है। दिव्यांग होने के बावजूद मनीषा बेहतर मुकाम हासिल करना चाहते हैं। मनीषा ने सरकारी नौकरी में वरिष्ठ अधिकारी बनने का सपना संजोए बैठे हैं, जिसे साकार करने के लिए वह काफी मेहनत कर रही है। उसने कभी भी दिव्यांगता को राह का रोड़ा बनने नहीं दी है शायद इसीलिए वह अभी अपने घर बड़ेडोंगर भैसाबेड़ा से लगभग 4 किलोमीटर दूर पत्थरागुड़ा सरकारी स्कूल में पैदल चलकर ट्यृटर की पद पर बच्चों को शिक्षा दे रही है। मनीषा ने कक्षा 12 वीं कला संकाय में 71% अंक अर्जित की, और आगे भी पढ़ना चाहती है लेकिन पारिवारिक आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसे ट्यूटर की नौकरी करना पड़ रहा है। मनीषा अपना दैनिक कार्य खुद करती है। वह माता-पिता के चार भाई भाई बहनों में से तिसरे नंबर के संतान है और बचपन से ही वह रक्षाबंधन पर अपने दोनों भाईयों की कलाई पर राखी सजाते आ रही है।
इस वर्ष भी गुरुवार को मनीषा रक्षाबंधन पर उसने अपने दोनों भाईयों के कलाई पर अपने दोनों दिव्यांग हाथों से राखी बांधी और आरती की थाली सजाते हुए भाइयों के माथे पर टीका लगाने आदि कार्य खुद किए। मनीषा दोनों हाथों से दिव्यांगता होने के बाद भी खुद को कमजोर नहीं होने दी।
मनीषा के माता पिता ने बताया कि हम लोग मजदूरी कर अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं पर कई बार रोजगार नहीं मिलने से पर परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। मनीष अब बड़ी हो गई है पर इससे शादी भी कौन करेंगा क्यों कि इसके दोनो हाथ नहीं है। सरकार से निवेदन करते है कि उसकी बेटी को सरकारी नौकरी दे दें, जिससे वह अपना आगे का जीवन जी सके।