रायपुर।छत्तीसगढ़ बीजेपी के दिग्गज और वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफा देने के साथ ही प्रदेश की राजनीति गरमाई हुई है। मामले में जमकर सियासत हो रही है। कांग्रेस इस मामले में नंदकुमार साय के बहाने आदिवासी वोट को लेकर लगातार हमलावर है। बीजेपी पर जमकर निशाना साध रही है। कांग्रेस नेता लगातार तीखी प्रतिक्रया दे रहे हैं। इसी क्रम में प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने ट्वीट कर बीजेपी पर तंज कसा है।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि ‘आज नंद कुमार साय ने अपने साथ-साथ आदिवासियों के “मन की बात” भी कह दी है। #आदिवासी_विरोधी_भाजपा। सीएम बघेल ने अपने ट्वीट के साथ ही नंदकुमार साय के इस्तीफे का खत भी शेयर किया है।

अभी इस्तीफा स्वीकार नहीं, मनाएंगे: रमन सिंह
दूसरी ओर बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व सीएम रमन सिंह ने कहा कि मेरी काफी दिनों से उनसे समान्यत: मुलाकात नहीं हुई है। पार्टी के बैठकों में मिलते रहे हैं, लेकिन आज जिस प्रकार का बयान आया है, वैसे कभी चर्चा कभी नहीं हुई। उनके जाने से आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी पर प्रभाव पड़ने के सवाल पर कहा कि वे पार्टी के सीनियर नेता हैं। उनका इस्तीफा आया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के पास है। अभी इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। उनसे बातचीत की जाएगी। साव और पार्टी के अन्य नेता भी उनसे बातचीत करेंगे। संगठन के राष्ट्रीय नेता भी बात करेंगे। उन्हें मनाया जाएगा। कुछ ना कुछ रास्ता निकल सकता है। साय से संपर्क करने के सवाल पर कहा कि उनसे संपर्क किया गया पर बातचीत नहीं हो सकी है।
कौन हैं नंदकुमार साय
नंदकुमार साय छत्तीसगढ़ भाजपा के एक बड़े आदिवासी चेहरा और आदिवासी मुख्यमंत्री के सबसे बड़े पैरोकार माने जाते रहे हैं। वे 1977 में पहली बार बीजेपी के टिकट पर जीत कर मध्य प्रदेश विधानसभा पहुंचे थे। साय तीन बार विधायक और तीन बार के सांसद भी रह चुके हैं। अविभावित मध्य प्रदेश में 1997 से 2000 के बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं। राज्य गठन के बाद साय छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी बने।
वर्ष 2003 में नंदकुमार साय ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें वह हार गए थे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने सरगुजा संसदीय सीट से चुनाव जीता था और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल भी पूरा किया था। मोदी सरकार के कार्यकाल में साल 2017 में उन्हें अनुसूचित जाति आयोग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। वर्तमान में वह संगठन महामंत्री के पद पर थे।
महीने बाद होना है विधानसभा चुनाव
छत्तीसगढ़ में पांच महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में साय के इस्तीफे से बीजेपी में खलबली मच गई है।
उनके इस्तीफे का लेटर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस लेटर में उन्होंने इस्तीफा की वजह बताते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को इस्तीफा भेजा है।
आखिर क्यों दिया इस्तीफा
साय ने पत्र में लिखा है कि ‘भारतीय जनता पार्टी के गठन एवं अस्तित्व में आने के प्रारंभ से लेकर आज पर्यंत तक पार्टी द्वारा विभिन्न महत्वपूर्ण पदों एवं उत्तरदायित्व की जितनी भी जिम्मेदारी मुझे दी गई उसे पूरे समर्पण एवं कर्तव्य परायणता के साथ मैंने अपने उत्तरदायित्व एवं पदों का निर्वहन किया, जिसके लिए मैं पार्टी का आभार व्यक्त करता हूं। पिछले कुछ वर्षों से भारतीय जनता पार्टी में मेरी छवि धूमिल करने के उद्देश्य से मेरे विरुद्ध अपने ही पार्टी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा षडयंत्र पूर्वक मिथ्या आरोप अन्य गतिविधियों द्वारा लगातार मेरी गरिमा को ठेस पहुंचाया जा रहा है, जिससे मैं अत्यंत आहत महसूस कर रहा हूं। बहुत गहराई से विचार करने के बाद मैं भारतीय जनता पार्टी की अपनी प्राथमिक सदस्यता अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं। अतः मेरी इस्तीफा स्वीकार करने की कृपा करें’