एक समय गिरजा 12 वीं तक पढ़ाई करने के बाद भी बेरोजगार थी। उनके पास हुनर था लेकिन काम शुरू करने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। इस दौरान उन्हें समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित छत्तीसगढ़ निःशक्तजन वित्त एवं विकास निगम के बारे में पता चला जो दिव्यांग व्यक्तियों को स्वरोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराती है। गिरजा ने निगम में 2 लाख 7 हजार रूपए के ऋण के लिए आवेदन किया। लोन स्वीकृति के बाद उन्होंने इलेक्ट्रिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक और फोटो फ्रेमिंग के साथ हैंडमेड ज्वेलरी का काम शुरू किया। आज वह आत्मनिर्भर हैं और अपने परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। वह अपने पति और बेटे के साथ खुशहाल जीवन बिता रही हैं। उन्होंने निगम द्वारा स्वीकृत पहली ऋण राशि की सफलता पूर्वक अदायगी कर दी है। अपने व्यवसाय को विस्तार देने के लिए उन्होंने अब वर्ष 2022-23 में 8 लाख रूपए का ऋण प्रस्ताव फिर से भेजा है।
दुकान की आय की बचत राशि से वह अपने घर पर ही दिव्यांगों को ज्वेलरी डिजायनिंग का प्रशिक्षण दे रही हैं। वह रेशमी धागे से आर्टिफीशियल ज्वेलरी निर्माण, धान से गले का सेट तथा झुमका निर्माण, निरमा साबुन फिनाईल, मसाला निर्माण का प्रशिक्षण कुशलता से देती हैं। इससे दिव्यांग हुनरमंद के साथ आत्मनिर्भर भी बन सकेंगे।