Sologomy: आपने मोनोगैमी यो पोलिगैमी तो सुना ही होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोलोगैमी का नाम सुना है? हालिया दिनों में हर जगह सोलोगैमी (Sologamy) का जिक्र होते साफ देखा जा सकता है. सोलोगैमी के लिए क्षमा बिंदु (Kshama Bindu) नामक महिला भी लगातार खबरों में बनी हुई है. लेकिन, सोलोगैमी होती क्या है और हर तरफ इसकी चर्चा क्यों हो रही है? आइए जानते हैं और साथ ही इस बात से भी वाकिफ होते हैं कि क्यों ज्यादातर महिलाएं सोलोगैमी अपना रही हैं.

क्या है सोलोगैमी
असल में सोलोगैमी का मतलब है किसी व्यक्ति का खुद से ही शादी कर लेना. सोलोगैमी को ओटोगैमी भी कहते हैं. सोलोगैमी को अपनाने वालों का कहना है कि यह खुद का मूल्य समझने और खुद से प्यार (Self Love) करने की तरफ एक कदम है. इसे सेल्फ मैरिज (Self Marriage) भी कहा जा सकता है.
वैश्विक तौर पर यह ज्यादातर महिलाओं के बीच प्रचलित है जिसका मतलब है कि महिलाएं इसे अपनाने की तरफ ज्यादा प्रमुख नजर आ रही हैं. गुजरात की रहने वाली क्षमा बिंदु 24 साल की हैं और आने वाली 11 जून को खुद से शादी करने जा रही हैं जिसमें वे अपनी मांग में सिंदूर भी भरेंगी और फेरे भी लेंगी. क्षमा का कहना है कि वे कभी किसी लड़के से शादी नहीं करना चाहती थीं लेकिन उन्हें दुल्हन बनना था. क्षमा के लिए सोलोगैमी एक तरह की सेल्फ एक्सेप्टेंस (Self Acceptance) यानी खुद को अपनाने का एक तरीका है जिस चलते वे यह कदम उठाने जा रही हैं.