डॉक्टर्स ने रिस्क लेकर किया आंत का ऑपरेशन, बचाई मरीज की जान

रिपोर्टर, प्रभा यादव

जशपुर। जिला अस्पताल में एक मरीज की जान बचाने के लिए 32 घंटे तक वेंटिलेटर पर रखा गया। वेंटिलेटर सपोर्ट से सांसें देने के बाद मरीज की स्वाभाविक सांसे वापस आ गई और अब मरीज तेजी से ठीक हो रहा है। जिला अस्पताल में पहली बार वेंटिलेटर सपोर्ट से किसी मरीज की जान बचाई गई है। इससे पहले तक वेंटिलेटर के उपयोग की नौबत ही नहीं आती थी। इससे पहले ही मरीज को रेफर कर दिया जाता था।

भागलपुर निवासी 40 वर्षीय भईया राम 1 अक्टूबर को पेट में दर्द, मुंह से खून आने की समस्या लेकर जिला अस्पताल पहुंचा। सोनोग्राफी करने पर पता चला कि उसकी आंत फट चुकी है। ऐसी स्थिति में तत्काल ऑपेरशन करने का निर्णय लिया गया। जिला अस्पताल के सर्जन डॉ. भूपेश भगत ने बताया कि मरीज की हालत इतनी नाजुक थी कि वह रेफर करने की स्थिति में भी नहीं था। यदि रेफर किया जाता तो अंबिकापुर या रांची ले जाने के दौरान रास्ते में ही उसकी जान जा सकती थी। रात में टीम द्वारा मरीज का ऑपरेशन किया गया। सर्जन डॉ. भूपेश भगत, एनेस्थेस्टिक डॉ. संदीप भगत, स्टाफ नर्स समीर, नूतन, इलिल, वार्ड ब्वॉय सुरेन्द्र और विजय टीम ने आपरेशन किया।

करीब तीन घंटे के ऑपरेशन के बाद मरीज की आंत को सही किया गया। इसके बाद मरीज का ऑक्सीजन लेबल काफी डाउन हो गया था और उसके फेफड़े भी काम नहीं कर रहे थे। इसलिए उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। मरीज को फिलहाल आईसीयू में रखा गया है। मरीज की सभी मेडिकल रिपोर्ट लगभग नॉर्मल है। डॉक्टरों ने बताया कि अब मरीज को जनरल वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा। कुछ दिनों तक जनरल वार्ड में रखने के बाद उसे छुट्‌टी भी दे दी जाएगी।

20 साल से पी रहा था गांजा फेफड़े में भी थी समस्या डॉ. भूपेश भगत ने बताया कि मरीज को जब भर्ती किया गया था, उसी वक्त उसका ऑक्सीजन लेबल 60 से 70 के बीच था। जो फेफड़े के संक्रमित होने या फेफड़े से ठीक से काम नहीं करने की वजह से होता है। कोरोना के वक्त फेफड़े में वायरस संक्रमण की वजह से कई मरीजों का ऑक्सीजन लेबल गिर रहा था। मरीज से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह गांजा का आदी है। बीते करीब 20 साल से वह गांजा पी रहा था, इसलिए उसके फेफड़े सही ढंग से काम नहीं कर रहे थे। अब मरीज के शरीर में ऑक्सीजन लेबल भी सामान्य है।अब जनरल वार्ड में शिफ्ट करने की किया जा रहा तैयारी।