छत्तीसगढ़ परंपरा के अनुसार आज डोंगरगढ़ एक बत्ती पांच रास्ता दंतेश्वरी चौक वार्ड नंबर 16 में गौरी गौरा उत्सव मनाया गया

केशव साहू

छत्तीसगढ़ परंपरा के अनुसार गौरी गौरा जगाना कहते हैं द्वादशी त्रयोदशी चतुर्दशी को यह परंपरा लगातार चलते रहता है महालक्ष्मी पूजा के दिन रात्रि में युवाओं के द्वारा मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती जिसे हम गौरी गौरा कहते हैं का निर्माण करते हैं माय क्लास एवं वाद यंत्र डफला दसरा ढोलक गुदुम झुनझुना के साथ रात्रि 3:00 से 4:00 बजे मोहल्ले में घूम घूम कर कलश इकट्ठा किया जाता है जो गौरी गौरा निर्माण स्थल पर जाकर समाप्त होता है बैगा के द्वारा गोरी गौरव पूजा किया जाता है फिर सोहर गीत के साथ गौरी गौरा को गौरा चौराहा पर स सम्मान लाया जाता है माहौल ऐसा रहता है कि कई पुरुष महिलाएं के ऊपर देव सवार हो जाता है उसके बाद विसर्जन के लिए जो श्रद्धालु गौरी गौरा का पूजा करना चाहते हैं वह अपने घर के पास पाटा लाकर उसे श्रद्धा से पूजा अर्चना करते हैं तलाब में गौरी गौरा विसर्जन के साथ यह कार्यक्रम समाप्त होता है