रिपोर्टर- चंद्रभान यादव
जशपुर जिले का नाम हमेशा लोगों की जुबान पर बना रहता है, क्योंकि जशपुर जिले में एक से बढ़कर एक घटनाएं घटित होती रहतीं हैं जो जशपुर जिले को हमेशा सुर्खियों में बनाए रखतीं हैं !
अभी जिले में बाॅक्साइड उत्खनन को लेकर उथल पुथल और जिला मुख्यालय में आयोजित आदिवासी एकता परिषद के संयुक्त अधिवेशन में किए गए आपत्तिजनक बयानबाजी का मामला सुर्खियों की दौड़ में एक दुसरे से होड़ लगा ही रहीं थीं कि एक और मामले ने लोगों की कनपटिंया सनसनवा दी !
मामला है फरसाबहार एसडीएम के द्वारा अपने मातहत कर्मचारियों के शोषण के विरुद्ध कलेक्टर महोदय से हुई शिकायत का ! फरसाबहार एसडीएम कार्यालय के कर्मचारियों ने जिला कलेक्टर के समक्ष एसडीएम फरसाबहार के खिलाफ लिखित में शिकायत की है जिसमें उन्होंने साफ़ साफ़ शब्दों में अपने साथ होने वाले ज्यादतीयों को दर्शाया है !
शिकायतकर्ता कर्मचारी गौरीशंकर यादव (वाहन चालक) तथा नवीन कुमार चौहान (भृत्य) के द्वारा जिला कलेक्टर को जानकारी दी गई है कि उनकी मुल पदस्थापना जिले के अन्यत्र कार्यालयों में है परन्तु उन्हें फरसाबहार एसडीएम ने अपने कार्यालय में ही संलग्न रखा है ! कार्यालय तो कार्यालय अपने निजी निवास पर भी एसडीएम उन्हें काम कराते हैं, खास बात यह है कि उनको बाजार सब्जी भाजी खरिदने के लिए भेजा जाता है पर पैसे नहीं दिए जाते, सामग्रियां उन्हें अपने पैसों से खरीदनी पड़ती है !
शिकायतकर्ताओं ने आवेदन के माध्यम से जशपुर कलेक्टर रितेश अग्रवाल को अपनी तकलीफ से अवगत कराते हुए लिखा है कि छुट्टियों के दिनों में भी उन्हें एसडीएम निवास में बुलाकर काम करवाया जाता है यहां तक कि उनसे एसडीएम के द्वारा अपने शरीर पर तेल मालिश जैसा व्यक्तिगत कार्य भी कराया जाता है !
इस तरह की शारीरिक आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर जब उन्होंने एसडीएम से अपने मुल पद पर वापस भेजे जाने का आग्रह किया तो उल्टा पद का कर्तव्यनिष्ठा पुर्वक वहन नहीं कीये जाने का उल्लेख करते हुए आदेश जारी कर दिया गया, जिसमें सुधार करवाने का निवेदन जब उन्होंने किया तो एसडीएम के द्वारा उन्हें पुनः धमकाया गया और अर्नगर्ल बातें कही गई !
एसडीएम के रव्वैये से परेशान कर्मचारियों ने न्याय के लिए जिलाधिकारी का दरवाजा खटखटाया है और एसडीएम के उपर कार्यवाही की मांग के साथ ही उनके मुल पदस्थापना वापसी आदेश में संशोधन कर सुधार करने का भी निवेदन किया है