दुर्ग । आज चंदूलाल चंद्राकर स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय मे राष्ट्रीय औषधि सतर्कत्ता सप्ताह के तारतम्य मे एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता डॉ. प्रदीप कुमार पात्रा ने की। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि किसी भी मरीज़ की चिकित्सा के दौरान सामान्य और रोज़ उपयोग में आने वाली दवाइयों से भी दवाइयों के पार्श्व प्रभाव हो सकते हैं।
कार्यक्रम की संयोजिका एवं फॉर्मेकलॉजी विभाग की विभागध्यक्ष डॉ. सुनीता चंद्राकर ने बताया की। इस महाविद्यालय में औषधियों से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में आम जनता को जागरूक करने हेतु भारत सरकार ने ये पहल की है। जिससे इन साइड इफ़ेक्टस के बारे में चिकित्सक, नर्सेज और स्वयं मरीज़ भी समझें और दुष्प्रभाव पर शोध किया जा सके और भविष्य में बचा जा सके। महाविद्यालय की फॉर्मेकलॉजी विभाग द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में फॉर्मेको विजिलेंस एसोसिएट हर्ष देशमुख ने बताया कि इसके लिए एक टोल फ्री नंबर 1800-180-3024 भी है। जिस पर इन दुष्प्रभाओं के बारे मे बताया जा सकता है जिससे उन पर अनुसन्धान किया जा सके। इस महाविद्यालय में एक विशेष औषधि सतर्कता सेल भी बनाई गयी है जिसकी समन्वयक डॉ. रत्ना अग्रवाल ने कहा कि औषधियों से सम्बंधित ये सतर्कता मरीज़ो के सुरक्षित इलाज में सहायक होगी। जिससे समय रहते उसके लक्षषणों को पहचाना जा सके और उनकी त्वरित चिकित्सा की जा सके क्योंकि कई बार ये रिएक्शन गंभीर और जानलेवा भी हो सकते हैं। अस्थि रोग विभाग के डॉ. नवीन गुप्ता ने इस सम्बन्ध में कहा कि यदि किसी मरीज़ को किसी भी दवाई से एक बार भी रिएक्शन होता है। तो स्वयं उस मरीज़ को उस दवाई का नाम या फार्मूला का नाम मालूम होना चाहिए और किसी भी चिकित्सक के पास जाने पर इलाज शुरू होने के पहले चिकिसक के उन नामों से अवगत करवाना चाहिए। जिससे अकारण उस दवाइयों को पुनः लिखें जाने से बचा जा सके। रिएक्शन करने वाली इन दवाइयों को विशेषकर लाल स्याही से मरीज़ की पर्ची या भर्ती टिकिट पर लिख देने से बेहतर सावधानी ली जा सकती है। जिससे दोबारा एलर्जी करने वाली उन दवाईयो के पुनः प्रयोग से बचा जा सके। वर्तमान में इस शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में अनवरत इस तरह के चिकित्सा छात्रों व मरीज़ो के लिए जनजागरण और परीक्षण व उपचार के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं जिससे इस अंचल के रोगियों को लाभ मिल सके।
