पंडरिया।ब्लाक अंतर्गत स्थित वनों में मध्यप्रदेश का राजकीय पक्षी दूधराज सैकड़ो की संख्या में करीब महीने भर से अपना डेरा डाले हुए हैं।ये पक्षी प्रतिवर्ष इस क्षेत्र में आते हैं,जो प्रजनन पश्चात पुनः मध्यप्रदेश लौट जाते हैं।नगर से करीब 5 किलोमीटर दूर क्रांति जलाशय के आस-पास व जंगल के भितरी भागों में ये पक्षी बड़ी संख्या में पहुँचे हुए हैं।ये पक्षी घने जंगलो,बगीचों,घनी झाड़ियों में रहते हैं।दूधराज देखने में बहुत ही सुंदर व आकषर्क होता है।इसे सुल्ताना बुलबुल व एशियन पैराडाइज़ फ्लाईकैचर नाम से भी जाना जाता है।दूधराज पक्षी में नर पक्षी के लंबी पूंछ होती है।जिसकी लंबाई करीब 30 सेंटीमीटर तक होती है।मादा दूधराज की पूंछ छोटी होती है तथा लंबाई भी कम होती है। दूधराज नर पक्षी के दो रूप देखने को मिलते हैं।एक प्रकार के नर का रंग भूरे-केशरिया- लाल रंग का होता है,वहीं दूसरे प्रकार के नर सफेद-ग्रे रंग का होता है।बताया जाता है कि छोटे नर का रंग लाल-केशरिया होता है।जो युवा होने पर सफेद हो जाता है।यह परिवर्तन लंबे समय मे होता है।इस दौरान इसे आधा सफेद व आधा लाल -भूरा भी देखा जा सकता है।एक पक्षी का जीवन काल के दौरान रंग परिवर्तन आश्चर्यजनक है।इनका चोंच गहरा नीला व काला होता है तथा सर चमकीले काले व गहरे रंग का होता है।इसी प्रकार मादा दूधराज भूरे-लाल रंग का होता है तथा इसकी पूंछ की लंबाई छोटी होती है।यह पक्षी तेज आवाज करने वाला होता है।इसकी आवाज तीखी होती है।
मार्च से प्रजाजन काल की शुरुवात-इन पक्षियों का प्रजनन काल मार्च के अंत से जुलाई तक होता है।इस दौरान ये अंडे देते हैं।एक बार में 3 से 5 अंडे देते हैं,जिसमे से करीब15से 20 दिन बाद चूजे निकलते हैं।कुछ पक्षियों के घोसले तैयार हो चुके हैं तथा कुछ अंडों से बच्चे भी निकल चुके हैं,वहीं कुछ अभी घोसले तैयार करने में जुटे हुए हैं।बच्चे के उड़ने के साथ ही
किट- पतंगे इनका मुख्य भोजन– फ्लाईकैचर दूधराज का मुख्य भोजन किट पतंगे हैं।ये किट-पतंगे,तितली,मख्खियां,सहित अन्य कीड़ो को खाते हैं।ये अपने नाम (फ्लाई केचर)के अनुरूप हवा में उड़ते हुए अपने भोजन के लिए शिकार करते हैं।बच्चों को भोजन कराने का कार्य नर व मादा दोनों के द्वारा किया जाता है।इसका घोसला तिनकों व पेड़ों की छोटे-छोटे टहनियों से मिलकर बने होते हैं।जो एक कप के आकार के होते हैं।ये घोसला का प्रयोग एक बार ही करते है।

- May 29, 2023