आशीष दास
कोंडागांव । प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी योजना कोंडागांव जिले के विकास खंड फरसगांव के जवाबदार अधिकारी एवं कर्मचारियों के सुस्त रवैए से ढीली पड़ गई है। विकास खंड फरसगांव में अभी भी कर्मचारियों और अधिकारियों की उदासीनता के चलते अधिकतर गौठान पूर्ण नहीं हो पाया है।
शासन की महत्वपूर्ण गौठान योजना में बरती जा रही लापरवाही-
यहां उल्लेखनीय है कि फरसगांव विकासखंड में राजस्व के 15 गोठान एवं वन विभाग द्वारा 16 आवर्ती चराई स्थल विकसित करना प्रस्तावित है। लेकिन आज तक दो तीन गठानों को छोड़कर कोई भी गोठान पुर्ण नहीं हुआ साथ ही जो गौठान पुर्ण बताया जा रहा है उस जगहों पर महिला समूह केवल गोबर खरीदी को छोड़ कर कोई भी अन्य गतिविधि नजर नहीं आ रही है। जनपद पंचायत फरसगांव के अन्तर्गत आने वाले सुदूर क्षेत्र चिंगनार, कुल्हाड़गांव, बडेओडागांव सहित कई प्रस्तावित गौठान के आधा अधूरा गौठान अपनी हकीकत खुद ही बयां कर रहा है जहाँ न तो मवेशी है न चारा और ना कोई महिला समूह की गतिविधि, न ही अभी तक कोई पैरादान हेतु ग्रामीणों को प्रेरित किया गया। जिससे साफ जाहिर हो जाता है कि फरसगांव विकास खंड में दो चार गौठानो को छोड़ दिया जाए तो बाकी के गौठानो की स्थिति बदहाल है और शासन की महत्वपूर्ण गौठान योजना में लापरवाही बरती जा रही है। इसे साफ शब्दों में कहा जा सकता है कि गौठान निर्माण कर शासन के राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है। जबकि शासन का लक्ष्य गौठानों को पूरी तरह स्वावलंबी बनाकर इन्हें आजीविकामूलक गतिविधियों का केंद्र बनाना था। इस दिशा में फरसगांव विकास खंड में अब तक कोई प्रगति नजर नहीं आ रहा है।
समूह द्वारा निर्मित जैविक खाद पड़े पड़े हो रहा है खराब-
कुछ महिला समूह से बात करने पर पता चला कि गौठान में नाफेड के तहत जैविक खाद का निर्माण तो किया गया लेकिन बाजार में विक्रय के अभाव में अभी भी जैविक खाद पड़े पड़े खराब हो रहे हैं। कुछ घोटालों से कृषि विभाग उद्यान विभाग द्वारा खाद की खरीदी की गई थी जिसका आज तक महिला समूह को राशि प्राप्त नहीं हुआ जिसके चलते गौठान में गोबर खरीदी भी बंद पड़ा है। कुछ गांव के मवेशी चरवाहे ने बताया कि गाँव से गौठान की दूरी ज्यादा होने व आधे-अधूरे गौठान और उसमें सुविधाओं के अभाव में मवेशियों को गौठान ले जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है जिसके चलते मवेशियों को अन्यत्र जगह चराने के लिए ले जाया जाता है।
शासन के निर्देशानुसार हर विकासखंड के ग्राम पंचायतों में गौठान निर्माण को जल्दी से जल्दी पूर्ण कराया जाना था। लेकिन जिस हिसाब से ग्राम पंचायतों में गौठान का निर्माण कार्य चल रहा है उससे लगता नहीं कि अगले 6 माह में भी गौठान निर्माण हो सकेगा।
राशि आवंटन के अभाव में अधूरा है गौठान निर्माण-
गौठान निर्माण पंचायतों को निर्माण एजेंसी बनाया गया है एवं गौठान निर्माण हेतु अधिकारियों द्वारा पंचायतों में दबाव बनाया जा रहा है लेकिन पंचायतों के सरपंच सचिवों का कहना है कि शासन द्वारा राशि जारी नहीं करने के चलते गौठान अधूरा पड़ा है। निर्माण सामग्री एवं मजदूरों के भुगतान नहीं होने के चलते कोई कोई गोठानो में निर्माण कार्य आधा अधूरा अटका पड़ा है।
बहरहाल लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों के चलते ग्रामवासी शासन की जनहितैषी योजनाओं से वंचित है ऐसे में इन पर सख्त कार्यवाही करने की आवश्यकता है।
जिला पंचायत सीईओ का कहना है कि-
इस विषय पर कोंडागांव जिला पंचायत सीईओ प्रेम प्रकाश शर्मा का कहना है कि सभी गौठानों को धीरे-धीरे विकसित करना है। गोठानो के राशि आवंटन के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि यह एक गलत धारणा है कि गौठानो को अलग से आवंटन प्राप्त होगा। यह विभागीय योजना है जिसमें सभी विभाग मिलकर योजना के तहत गौठानो को विकसित करना है। ग्रामीण इलाकों में इसे व्यवस्थित करने के लिए सरकार का एक प्रयास है। यह एक चरणबद्ध योजना है जिसे अलग-अलग विभाग से हम जोड़ रहे हैं। गौठानों में गतिविधि के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि स्थान विशेष समस्याओं को हम देख लेंगे और उसे जल्दी से जल्दी दूर करने का प्रयास करेंगे। चुकि गौठान एक सामुदायिक सहभागिता योजना है इसमें सभी को मिलकर इसको विकसित करना है।