अगस्त माह की बारिश में जिले के सूखे पड़े जलाशयों में पानी भर गया…बारिश किसानों व जिले के जलाशयों के लिए भी संजीवनी साबित हुई

अर्जुनी। अगस्त माह की बारिश किसानों के साथ ही साथ जिले के जलाशयों के लिए भी संजीवनी साबित हुई है। अगस्त माह की बारिश में जिले के सूखे पड़े जलाशयों में पानी भर गया है। जितनी बारिश इस वर्ष अगस्त माह में हुई है वो अभी तक खेती किसानी से लेकर जलाशयों तक के लिए बेहतर रही है जिसकी वजह से जिले के जलाशयों की पूरी तस्वीर ही बदल गयी है।

स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जून जुलाई तक जहां जिले के कुल 38 जलाशयों में से गिने चुने जलाशयों में ही 100 फीसदी जल भराव था वहीं सितंबर माह के प्रारंभिक प्रथम सप्ताह में ही जिले के 36 जलाशयों में 17 जलाशयों में 100 फीसदी जल भराव हो चुका है।

जलाशयों में जलभराव का वर्तमान लाभ किसानों को हो रहा है तथा डिमांड के अनुसार जल संसाधन विभाग द्वारा 11 जलाशयों के गेट को भी फसलों को जलप्रदाय के नाम पर खोला गया है जिससे धान की फसल को भी लाभ हो रहा है। जलाशयों में भरा पानी जिले के किसानों के साथ ही साथ आगामी ग्रीष्म ऋतु में भी भूजल स्तर के साथ ही साथ ग्रामीण ईलाके के लोगों के लिए भी लाभकारी साबित होगा।


विदित हो कि जुलाई माह की अपेक्षाकृत कमजोर बारिश के बाद अगस्त माह में बारिश का कोटा फुल होते ही जलाशयों की स्थिति पूरी तरह से बदली हुई नजर आ रही है। इस वर्ष भीषण गर्मी की वजह से मई जून माह में जलाशयों की स्थिति सर्वाधिक खराब रही है तथा बहुतेरे जलाशयों में तल तक पानी पहुंच गया था। जिले में 01 मध्यम जलाशय बलार जलाशय के अलावा लघु जलाशयों की संख्या 38 है। जुलाई माह के अंत तक जलाशयों में जलस्तर बेहद कम था जिसकी वजह से संबंधित ग्रामों के ग्रामीणों में चिंता व्याप्त थी।

जलाशयों में भरा पानी धान की फसल के साथ ही साथ ग्रीष्मकाल में ग्रामीणों की निस्तारी का भी मुख्य साधन होता है वहीं जलाशयों के भरे होने की स्थिति में भूजल स्तर में भी सुधार रहता है। जलाशयों की स्थिति को देखकर ग्रामीणों में चिंता व्याप्त थी परंतु अगस्त माह के प्रारंभ से ही जिले में जोरदार बारिश हो रही है जिसकी वजह से सूख रहे जलाशयों की स्थिति ही बदल गयी है। अगस्त माह में हुई बरसात के बाद सितंबर माह के प्रथम सप्ताह में ही जिले के जलाशयों में पर्याप्त पानी भर गया है जिससे किसानों के साथ ही साथ संबंधित ग्रामों के ग्रामीणजनों में भी हर्ष व्याप्त है। जल संसाधन विभाग द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार सितंबर प्रथम सप्ताह तक जिले के बलार जलाशय में 72 प्रतिशत जलभराव के साथ कुल 36 लघु जलाशयों में से 17 जलाशयों में 100 फीसदी, 10 जलाशयों में 65 फीसदी से अधिक पानी भर गया है। मौसम विशेषज्ञों द्वारा सितंबर माह में भी जोरदार बारिश का अलर्ट दिया जा रहा है जिससे उम्मीद है कि वर्षा ऋतु के आगामी दिनों में शेष जलाशयों में भी 100 फीसदी जलभराव हो जाएगा।

॰ सितंबर में कुल 17 जलाशयों में सौ फीसदी पानी है – सितंबर माह के प्रथम सप्ताह तक जिले के साबर जलाशय, चरौदा जलाशय, कसडोल जलाशय, अमरूवा जलाशय, बलौदा जलाशय, कुकुरदी जलाशय, खैरादतान जलाशय, बालसमुंद जलाशय, कुकदा जलाशय, हरिनभट्‌टा जलाशय, बोईरडीह जलाशय, पत्थरचुवां जलाशय, टीथीडीह जलाशय, हिरमी जलाशय, दुलदुला जलाशय, कामता जलाशय तथा झिरिया जलाशय कुल 17 जलाशयों में 100 फीसदी जलभराव हो चुका है जो सुखद है। सितंबर माह में मौसम वैज्ञानिकों द्वारा जोरदार बारिश के संकेत दिए जा रहे हैं जिसे देखकर अन्य लगभग डेढ़ दर्जन बाकि जलाशयों में भी 100 फीसदी पानी भरने की पूरी संभावना है।

॰ धान की फसल को जबर्दस्त फायदा – आमतौर पर कहा जाता है कि सावन माह के साथ भादो माह में भी जमकर बारिश होती है तथा सावन से अधिक बारिश भादो माह में होती है परंतु इन कहावतों के उलट वर्तमान में बीते पखवाड़े भर से समूचे क्षेत्र में ही जोरदार बारिश नहीं हुई है। कुछ स्थानों पर खंड वर्षा होती रही है परंतु तेज धूप तथा भीषण गर्मी से धान की फसल को लेकर किसानों में चिंता थी जो जलाशयों के भरे होने से दूर हो गयी है।

खरीफ धान के लिए सिंचाई की मांग के आधार पर संवेदनशीलता दिखाते हुए जल संसाधन विभाग द्वारा 11 जलाशयों के गेट खोले गए हैं जिससे किसान बेहद प्रसन्न हैं तथा तथा खरीफ धान की फसल को जोरदार फायदा मिल रहा है जिससे किसानों की चिंता दूर हो गयी है। जल संसाधन निर्माण उपसंभाग के कार्यपालन अभियंता एन के पाण्डेय ने बताया कि जिस ईलाके से किसानों के द्वारा मांग आ रही है जलाशयों से पानी दिया जा रहा है।

॰ ग्रीष्मकाल की चिंता कम हुई – ग्रामीण ईलाकों के अधिकांश जलाशय ग्रामीण लोगों की निस्तारी के साथ ही साथ खरीफ फसल के लिए किसानों को पानी दिए जाने, भूजल स्तर को बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं परंतु जलाशयों का सूखना या जलाशयों में पानी का बेहद कम भराव आगामी ग्रीष्मकाल के लिए खतरे की घंटी होते हैं। अगस्त माह में हुई जोरदार बारिश से किसानों को वर्तमान खरीफ धान में पानी को लेकर पूरी चिंता समाप्त हो चुकी है वहीं मौसम को देखते हुए आगामी दिनों में भी पर्याप्त बारिश की संभावना है। जलाशयों के भरे होने पर आगामी ग्रीष्मकाल में भी लोगों को निस्तारी के साथ ही साथ भूजल स्तर में कमी, कृषि कार्यों में पानी नहीं मिलने की समस्या दूर होती नजर आ रही है।