वनों को निगल रहा अतिक्रमण का खेत,वन विकास निगम खामोश


पंडरिया।ब्लाक अंतर्गत पंडरिया पूर्व वन क्षेत्र में वन विकास निगम क्षेत्र अंतर्गत वनों का रकबा लगातार कम होते जा रहा है।रहमान कापा से बदौरा मार्ग में बाए तरफ खेत नहीं थे।वर्तमान में बांध के डुबान से लेकर सड़क तक खेत दिखाई दे रहे हैं।डुबान में कुछ खेत थे ,जो चलते हुए सड़क तक पहुंच गए हैं।कक्ष क्रमांक 497 व 498 शुरू से ही अतिक्रमण जा केंद्र रहा है।पूर्व में वन विभाग सामान्य द्वारा कई वार यहां अतिक्रमण खाली कराया गया था।किंतु वन विकास निगम में चले जाने के बाद अतिक्रमण नहीं हटाया जाता है।अतिक्रमण करने की छूट दे दी गई है।वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी प्रतिदिन इस क्षेत्र से गुजरते हैं किंतु जानबूझकर नजर अंदाज करते हैं।चर्चा है कि इस अतिक्रमण के बदले विभाग के कर्मचारी कमाई करते हैं।लोगों को इनके द्वारा ही अतिक्रमण कराया जा रहा है।


पेड़ों को गडलिंग कर सुखाया जाता है-जलाशय के डुबान क्षेत्र में वनों को बड़े पैमाने पर गडलिंग कर सुखाया जा रहा है।पिछले पखवाड़े भर में वन के बड़े क्षेत्र को गडलिंग कर काट दिया गया है तथा खेत बना दिये गए हैं।विभाग इसे रोकने में विफल है।
सैकड़ो पेड़ जलाऊ के लिए कटे जा रहे– पंडरिया वन क्षेत्र जहां खेत बनाने के लिए काटे जा रहे हैं वहीं प्रतिदिन सैकड़ो पेड़ जलाऊ लकड़ी के लिए काटे जा रहे हैं।इस वन क्षेत्र से प्रतिदिन सैकड़ों सायकलों पर जलाऊ लकड़ी बेचने के लिए लोग ले जाते हैं।जिसे होटलों में बेचा जाता है।लकड़ी काटकर बेचना सैकड़ों लोगों के दिनचर्या में शामिल है।कभी-कभी विभाग कार्यवाही करती है किंतु कुछ राजनेताओं के संरक्षण में इसे रोजी-रोटी कहकर छुड़ा दिया जाता है।इन लोगों को यह पता नहीं है कि जो आज कुछ लोगों का रोजी रोटी बना हुआ है।वह सभी लोगों का जीवन है।यदि इसे इसी प्रकार नष्ट किया जाएगा तो आने वाले समय मे लोगों का जीवन संकट में आ जायेगा।
2016 में हुआ था, हस्तांतरित– शासन द्वारा कक्ष क्रमांक 497 व 498 सहित 10 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र को सामान्य वन से वन विकास निगम को 2016 में हस्ततान्तरित किया गया था।तब ये क्षेत्र हरे -भरे व घने पेड़ वाले थे,लेकिन वन विकास निगम को हस्तांतरण के साथ ही खेतों के रकबा बढ़ने लगा तथा अतिक्रमण की छूट दे दी गई।जिसके परिणाम स्वरूप अब खेत ही खेत नजर आ रहे हैं।जल्द ही इस पर कार्यवाही नहीं की गई तो वन खेतों में विलुप्त हो जाएंगे।यदि वन क्षेत्र को सुरक्षित रखना है तो इसे पुनः वन विभाग सामान्य को सौंप देना चाहिए।