पंडरिया। ब्लाक के ग्रामीण क्षेत्रों में पक्षी का घोसला बड़ी संख्या में दिखाई पड़ रहे हैं।बया गौरैया की तरह एक प्रजाति है।बया गौरैया की तरह लोगों के घर में घोसला बनाकर नहीं रहती है।ये ज्यादातर पेडों की टहनियों में लटकता हुआ सुंदर घोसला बनाकर रहती है तथा इनके घोसला नदी के किनारे ज्यादा पाया जाता है।ये समूह में रहती है।इसकी एक कालोनी में 200 से भी अधिक घोसले हो सकते हैं।जिससे इनके बच्चों को सुरक्षा मिल सके।बया एक सामाजिक पक्षी है।इनका घोसला एक बस्तियों की तरह होता है।इसे बुनकर पक्षी भी कहा जाता है।पूर्ण रूप से वयस्क नर बया पक्षी का रंग पीले रंग लिए हुए होता है,वहीं मादा का रंग व कद लगभग गौरैया जैसे होती है।
मादाओं को आकर्षित करने के लिए नर बया अपने रंग में परिवर्तन कर लेता है।
इंजीनियर जैसे तैयार करते हैं घोसला-बया पक्षी में नर पक्षी द्वारा घोषला तैयार किया जाता है।जो कंटीले झाड़ियों बबूल, छिंद,सल्फी,जैसे पेड़ों तथा बिजली के तार पर बनाते हैं।घोषले के लिए मजबूत पत्तियों गन्ना, छिंद,नारियल जैसे का चयन करते हैं।करीब 400 से 500 बार उड़कर ये पक्षी घोसला बनाते हैं। ज्यादातर घोसले पूर्वी दिशा में बनाते हैं।इनके द्वारा बहुत ही तेजी से घोसला निर्माण किया जाता है।

सप्ताह भर में घोसला तैयार कर लिया जाता है लेकिन पूर्ण होने में करीब25 से 30 दिन लग जाते हैं।यह घोसला अंत्यन्त मजबूत होता है।घोसला निर्माण पूर्ण होने के बाद इनमें गीली मिट्टी लगाकर घोसला को मजबूत किया जाता है।लालटेन की तरह लटकते इनके घोसले में कई कमरे भी होते हैं।बया के घोंसले सुंदरता के साथ-साथ काफी मजबूत होते हैं। ये जमीन पर पड़े खर-पतवार नहीं बल्कि मजबूत किस्म के ताजे खर-पतवार से बनते हैं।
बया अपनी विशेष तकनीक से घोंसले की बिनाई करती
मानसून में होता है प्रजनन काल-मानसून के दौरान ही बया पक्षी के प्रजनन काल होता है।ये घोसले का निर्माण भी इसी दौरान करते हैं।मादा बया पक्षी दो से चार अंडे देती है,जो सफेद रंग का होता है।करीब15 दिन तक अंडे को सेया जाता है।अंडे से चूजे निकलने के बाद लगभग 17 दिन बाद ये बच्चे घोसला छोड़ देते हैं।बच्चे को नर व मादा दोनों मिलकर खाना खिलाते हैं।
स्वयंबर प्रक्रिया से साथी चयन-बया पक्षी में साथी का चुनाव में स्वयम्बर प्रक्रिया की झलक दिखाई पड़ती है।नर पक्षी द्वारा तीन-चार घोसले बनाये जाते हैं।
जिसका मादा पक्षी द्वारा अवलोकन किया जाता है।घोसला पसंद आने पर नर व मादा साथ रहते हैं।घोसला पसंद नहीं आने पर मादा दूसरे घोसले का अवलोकन करती है।वहीं नर बया भी घोसला छोड़ देता है तथा दूसरे घोसले के निर्माण करने लगता है।इसी वजह से नर बया द्वारा तीन-चार घोसले एक साथ तैयार किया जाता है।मादा पक्षी ऊंचे पेड़ों पर बने घोसले को पसंद करती हैं।कोयल की तरह बया पक्षी भी कई बार दूसरे मादाओं के घोसले में अंडे दे देती हैं।