पाटन। यह हर साल छत्तीसगढ़ से गुजरने वाला एक प्रवासी पक्षी यूरेशियन व्हिमरेल है। एक शोर बर्ड यानी समुद्र के किनारे घूमने वाली चिड़िया है. यह उत्तरी ध्रुव से कुछ नीचे बर्फीले टुंड्रा इलाके में प्रजनन करती है. वहां से ये नीचे समुद्र तटों की ओर प्रवास करती है. इसके प्रवास का रास्ता भारत से होकर गुजरता है. लंबी उड़ान की थकान और भूख मिटाने यह छत्तीसगढ़ में कुछ समय रुकती है और फिर आगे बढ़ जाती है. ये छत्तीसगढ़ की रेगुलर विजिटर है यानी हर साल इधर से गुजरती है. यहां के पक्षी प्रेमियों और फोटोग्राफरों के द्वारा लगातार कई वर्षों से इसकी उपस्थिति दर्ज की जा रही है. इसे बिलासपुर रायपुर पाटन क्षेत्रों में देखा जाता है. इस वर्ष भी 7 सितंबर को बेलौदी बांध के किनारे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर राजू वर्मा के द्वारा इसकी तस्वीर क्लिक की गई।
श्री वर्मा ने बताया कि परिन्दों का प्रवास शुरू हो चुका है,पाटन की आद्रभूमि इन प्रवासी परिन्दों को अपनी ओर आकर्षित है पाटन क्षेत्र के आसपास कामन सेंडपाइपर वुड सेंडपाइपर ग्रीन सेंडपाइपर आसानी से देखे जा सकते हैं।जल्द ही बतख प्रजाति के परिंदे भी आने लगेंगे।#whimbrel

मई में दिखा था जीपीएस टैग लगा व्हिम्ब्रेल पक्षी
छत्तीसगढ़ में पहली बार मई 2024 में जीपीएस टैग वाला प्रवासी पक्षी कैमरे में कैद हुआ था। व्हिम्ब्रेल पक्षी को बेमेतरा जिले के बेरला के पास जलाशय में देखा गया था। पक्षी प्रेमियों ने उसकी फोटोग्राफी भी की थी।
यह पक्षी कई महासागर और महाद्वीप को पार करने में माहिर है। व्हिंब्रेल पक्षी घुमावदार चोंच और धारीदार सिर के साथ आसानी से शिकार कर लेता है। पानी के आसपास पाए जाने वाले सभी कीड़े मकोड़े इसका आहार होते हैं। इसके प्रवास और पसंदीदा क्षेत्र को सैटेलाइट टैगिंग की मदद से पड़ताल किया जा रहा है।
पक्षी संरक्षण की दिशा में विगत 5 वर्षों से कार्य कर रहे राजू वर्मा ने बताया कि पाटन क्षेत्र के चीचा बेलौदी सांतरा और अचनाकपुर बांध में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं जिन्हें अक्टूबर माह से फरवरी तक देखा जा सकता है।