खेतों में रोज सुलग रहे पशुओं का चारा, पैरादान को लेकर जागरूक नहीं है किसान

केशव साहू

डोंगरगांव- जहाँ एक ओर छत्तीसगढ़ में अभी भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल गाँव -गाँव जाकर पैरा दान की बात कर रहे हैं वही उसकी इस योजना और संकल्प धुंआ धुंआ हो रहा है। छत्तीसगढ़ में धान की कटाई लगभग पूरी हो चुकी हैं, और अधिकतर किसान अपने खेत मे ही धान की मिजाई करवा रहे हैं, साथ ही हार्वेस्टर से भी धान की कटाई हो रही है। खेत मे धान कटाई होने के कारण पैरा वही छूट जाता है। ऐसे पैरा को अधिकतर किसान जो हैं वही जला देते हैं ,इस ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित किया गया था कि पशुओं के लिए चारा की कमी हो रही है। ऐसे में खेत मे बचे पैरा को न जलाकर किसी जरूरत मंद को दान कर दे तो दोनो पुण्य के भागी बन जाएंगे और पशुओं के लिए चारा भी उपलब्ध हो जाएगा ।लेकिन अधिकतर जगहों पर देखा जा रहा है कि किसान अपने ही खेत मे पैरा को जलाकर पशुओं के मुंह का निवाला छीन रहे हैं।

गाँव मे होती जा रही है चारागाह की कमी
शासन की कई महत्वपूर्ण योजना के क्रियान्वयन के लिए और तालाब निर्माण के लिए अधिकतर चारागाह खतम हो चुका है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में पशुओं के लिए चारा की कमी हो रही है। इसी कारण लोग पशु पालन में ज्यादा रुचि नही ले रहे हैं। बड़ा प्रश्न ये है कि पशु पालन करने वाले किसान भी अब पशुओं के लिए चारा कहा से लाये?

मुख्यमंत्री के अपील को लेना होगा गंभीरता से,तब पशुधन का उपयोग तरीके से हो पाएगा
देखा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के किसान अधिकतर पैरा को आग लगा देते हैं, इसे रोकने के किए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस विषय से अवगत करवाया गया था ,भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान पूरे प्रदेश में घूम घूम कर अपनी योजनाओं और विकास के बारे में लोगो से चर्चा कर रहे हैं साथ ही सभी जगह पैरा दान के लिए भी लोगो को प्रोत्साहित कर रहे हैं। कई जगह लोगो का सम्मान भी कर रहे हैं ताकि लोगो तक ये संदेश पहुँचे और पैरा को जलाने के अपेक्षा किसी जरूरत मंद को दान करें।