​टमाटर के पाैधाें काे सहारा देने बिना अनुमति साल के पेड़ काट रहे किसान, शिकायत के बाद हरकत में आया वन विभाग

रिपोर्टर- गुलाब यादव

बगीचा। टमाटर, बरबट्टी, करेला आदि फसलों को सहारा देने के लिए जंगल से भारी मात्रा में छोटे साल के पेड़ों की धड़ल्ले से कटाई की जा रही हैं। इससे जंगल में ठूंठ में बदलने लगे हैं। दरअसल टमाटर, करेला और बरबट्टी के पौधों को सहारा देने के लिए और इससे फल लटके रहे, इसलिए छोटे पेड़ व टहनियों को इस्तेमाल करते हैं।

खेतों में लगी लकड़ियों की फोटो वायरल होने के बाद यह मामला तूल पकड़ने लगा है। इस पर्यावरण प्रेमियों की आपत्ति के बाद डीएफओ ने एसडीओ को संबंधित किसानों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

जिले के सन्ना ब्लाक वन भूमि पर ट्रैक्टरों से जुताई करके वन विभाग की जमीन को कृषि भूमि बनाकर कब्जा करने का सिलसिला जशपुर के पाठ की जमीन से कई दशकों से चल रहा है, लेकिन पिछले दो दशकों से वन भूमि पर कब्जा करके वनाधिकार पट्टा हासिल करने में अपात्रों में होड़ लगी है।

जिसका परिणाम यह हुआ है कि पाठ इलाके में वन भूमि के बड़े हिस्से पर धीरे-धीरे जंगलों का घनत्व कम होता जा रहा है जबकि कृषि की जमीन का रकबा बढ़ रहा है। पाठ इलाके में शासकीय और वन भूमि में पहले आलू की खेती की जाती थी, लेकिन समय के साथ मिर्च, टमाटर और अन्य सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर की जाने लगी पहले जंगल पर काबिज होने के लिए जंगल की कटाई की जाती है।प्रदेश में सबसे ज्यादा टमाटर उत्पादन जिले से

जशपुर जिला खरीफ सीजन में होने वाले टमाटर का प्रदेश में सबसे बड़ा उत्पादक है। जशपुर जिले में अक्टूबर से लेकर फरवरी माह के बीच जिले के पत्थलगांव, कांसाबेल, दुलदुला और बगीचा ब्लाक से वृहद पैमाने में टमाटर का उत्पादन होता है। उद्यानिकी विभाग के आंकड़े के अनुसार जिले 11 हजार किसान हर साल 53 हजार हेक्टेयर में 63 मीट्रिक टन टमाटर का उत्पादन करते हैं।

वायरल फोटो बगीचा ब्लाक के ग्राम पंचायत कामारिमा के ग्राम अम्बाडीपा की बताई जा रही है। वनमित्र नामक ग्रुप में पर्यावरण प्रेमियों ने लिखा कि टमाटर की खेती की बड़ी कीमत जंगलों को चुकानी पड़ रही है। जंगल के आसपास पेड़ों की कटी हुई शाखाओं की फोटो के साथ स्थानीय लोगों ने पूछा कि और कितने पेड़ों को टमाटर की खेती के लिए काटा जाएगा। इस पर डीएफओ जितेन्द्र उपाध्याय ने कार्रवाई करते हुए सन्ना के रेंजर को मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।किसान बांस का करें उपयोग

पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता रामप्रकाश पांडे और वन विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी एसके गुप्ता का कहना है कि किसान सब्जी के पौधों को टिकाने के लिए बांस का प्रयोग कर सकते हैं। बांस को रस्सी से बांध कर,बेहतर तरीके से सहारा दिया जा सकता है।जंगल को नुकसान पहुंचाने के संदर्भ में सन्ना के रेंजर को फोटो और नाम की सूची भेज दिया गया है। इस मामले में जांच के उपरांत कार्रवाई की जाएगी।

जितेन्द्र उपाध्याय, डीएफओ,जशपुर