जामुल। गुरू सतनाम रावटी में ग्राम ढौर (जामुल) पहुंचे गुरूद्वारा भंडारपुरी धाम से आए धर्मगुरू नसी साहेब ने गुरूवाणी के माध्यम से बताया की सात्विक खानपान, सात्विक आचार,विचार, व्यवहार के साथ लोगों के जीवकोपार्जन भी सामाजिक चिंता का विषय है । गांव-गांव में अंधाधुंध शहरीकरण का होड़ लगा हुआ है और बहकावे में आकर छत्तीसगढ़ के किसान जमीन बेचकर पैतृक संपत्तियों का विनाश करने में लगे हुए है। प्रदेश के रजिस्ट्री कार्यालयों से प्राप्त जानकारी में सर्वाधिक जमीन सतनामी समाज का बिका है। छत्तीसगढ़ में जो लोग कभी जमींदार हुआ करते थे वे जमीन बेचकर प्रायः नया मकान, नयी वाहन का उपभोग सहित दिखावटी भौतिक सुख-सुविधाओं, संसाधनों के लालसा से ग्रस्त हो रहे है। जमीन बेचकर रोज मांस मदिरा का सेवन कर मौज मस्ती तो कर रहे है पर उस राशि का सदुपयोग नहीं कर पा रहे और पैसा समाप्त होते ही परिवार में आर्थिक संकट आम हो रहा है। पैतृक जमीन बेचकर लोग अन्य राज्यों में पलायन कर रोजगार की तलाश में भटक रहे है और बंधक बन रहे है, वहीं उन परिवारों में धर्म-संस्कृति के साथ बच्चों का भविष्य भी बर्बाद हो रहा है । छत्तीसगढ़ में जमीन खरीद कर अन्य राज्यों से आए प्रवासी लोग कर रहे है छत्तीसगढ़ पर राज और छत्तीसगढ़ के धर्म-संस्कृति का विनाश वहीं छत्तीसगढ़ के जमींदारों का वंश बाहरी व्यवसायियों के प्रतिष्ठानों में नौकर बनने हो रहे मजबूर। चूंकि शासकीय नौकरी सभी को उपलब्ध नहीं हो पा रहा,व्यवसाय में छत्तीसगढ़िया समाज का हाथ तंग है और व्यवसायिक भागीदारी बहुत कम है। छत्तीसगढ़ में कृषि ही पारंपरिक आय का स्त्रोत रहा है जो बिक रहा है। अब मेहनतकश छत्तीगढ़िया लोगों को जरूत है कि वे जमीन बेचने के बजाए मिश्रित कृषि के साथ उन्नत कृषि तकनीक को अपनाकर पारंपरिक आय के स्त्रोत बढ़ावें। वर्तमान में धान, गेंहूँ, चना, ज्वार, बाजरा के साथ कोदो, कुटकी,रागी आदि फसलों की मांग बढ़ रही है जिसका किसान उत्पादन कर अच्छा लाभ कमा सकते है। वहीं खेतों के मेढ़ो में सागौन, साल,चंदन आदि पौधों का रोपण कर भविष्य के लिए आय का स्त्रोत बना सकते है। इन सभी के साथ जल संरक्षण पर किसान विशेष ध्यान दें तो आत्मनिर्भरता के साथ कृषि से जीवकोपार्जन कर सकते है और सतमार्ग में चलते हुए सतगुरू के सानिध्य में रहकर भवसागर से पार हो सकते है।

- May 30, 2023