पंडरिया । नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र में अक्षय तृतीया,परशुराम जयंती व ईद का त्योहार धूमधाम व पूरे हर्षोल्लाश से मनाया गया।सुबह से ही लोग मंदिरों में पूजा अर्चना करते नजर आए।इसके अलावा पेड़-पौधों में पानी डालकर पूजा करते लोग दिखाई दिए।बाजारों में सुबह से घड़े की दुकाने सजी हुई थी।लोग बड़ी संख्या में घड़े लेने पहुंच रहे थे।लोगों द्वारा अक्षय तृतीया के अवसर पर घड़े में पानी भरकर मंदिरों में चढ़ाया गया।साथ ही घड़े की पूजा कर इसमें पानी रखने की शुरुवात की गई।अक्षय तृतीया के अवसर पर बच्चों द्वारा गुड्डे-गुड़ियों का विवाह किया गया।दो वर्ष कोरोना संकट में रहने के कारण सभी त्योहार मनाने लोग काफी उत्साहित रहे।
क्या है अक्षय तृतीया-अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप ही शुभ फल प्रदान करने वाली तिथि है। ये प्रति वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाती है।स्वयं सिद्ध तिथि पर सारे मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, उद्योग का आरंभ करना अत्यंत शुभ फलदाई माना जाता है।सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का अत्यंत महत्व है. यह वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है।आज अक्षय तृतीया है. मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया पर कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। जिसके लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती है।अक्षय तृतीया का फल अक्षय यानी कि कभी न मिटने वाला होता है। अक्षय तृतीया पर दान पुण्य का भी अत्यंत महत्व है। इस दिन किए गए दान पुण्य का कई गुना फल प्राप्त होता है।
क्यों मनाई जाती है,अक्षय तृतीया-
अक्षय तृतीया मनाने के चार कारण बताया गया है।
अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम ने महर्षि जमदग्नि और रेणुका देवी के घर जन्म लिया था। भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है।इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है।अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम की पूजा करने का भी विधान है।
ईद भी मनाई गई-रमजान महीने के बाद मंगलवार को मुस्लिम समुदाय द्वारा ईद का त्योहार मनाया गया।सुबह 10 बजे कवर्धा मार्ग स्थित ईदगाह में मुस्लिम समाज के लोग नमाज अदा किए तथा एक दूसरे से गले मिलकर मुबारकबाद दिए।इमाम साहब द्वारा हिंदुस्तान में अमन चैन के लिए दुआएं मांगी।जिसके बाद घरों में सेवइयां बनाकर लोगों को वितरित किया गया।