अक्ति तिहार पर ठाकुर देव को धान दोना अर्पण लोक अनुष्ठान सम्पन्न

संजय साहू

अंडा। छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति में तीज-त्यौहारों व मनुष्य के जन्म से मृत्यु तक जहां अनेक संस्कार हैं। वहीं लोक पर्वों और त्यौहार, लोक अनुष्ठानों के द्वारा लोग अपने जीवन में उमंग और कार्य प्रति उत्साह का संचार करते हैं। संपूर्ण छत्तीसगढ़ में अक्ति के दिन पुतरा-पुतरी का विवाह करने से लेकर कृषि कार्यों की शुरुआत, कलश में जल और चना दाल ठाकुर देव को अर्पित करते हैं और विशेष रुप से कृषि संस्कृति के पहले त्यौहार के रुप में ठाकुर देव को धान का धोना अर्पित कर धान बोने का सांकेतिक लोक अभिनय स्थानीय बइगा के द्वारा किसानों के सहयोग से किया जाता है। नवाचारी शिक्षक, संस्कृति कर्मी एवं जनजाति शोधार्थी राम कुमार वर्मा ने गुंडरदेही क्षेत्र के चिचलगोंदी और बघमरा गांव का भ्रमण कर बताया कि गांव के देव‌गुड़ी में जहां ठाकुर देव स्थापित है, वहां अपने पुरखों के चलागन के अनुसार स्थानीय बईगा के मार्गदर्शन में गांव के सभी किसानों ने परसा पर का दोना बना कर अपने घरों से धान ठाकुर देव चौरे में अर्पित किया।

इसके बाद ठाकुर देव चौरा के चारों ओर की जमीन पर बैगा द्वारा जल छिड़क कर जमीन गली की गई, धान के बिज छिड़काव किया गया और छोटे बच्चों को बैलों का अभिनय कराते हुए नांगर लोहा को पकड़ कर जमीन की खुदाई कराई गई। साथ ही खेत नींदाई, ब्यासी, धान काटने, सूर में धान का भारा उठाने, काशी की डोरी में पीपल की सात पट्टियां बांधकर गौरी घूमाने का अभिनय कराया गया और अंत में धान की ढ़ेरी अर्थात् रास की पूजा अर्चना कर फिर से सभी किसानों को बइगा परसा पान के धोने में धान दिया गया, जिसे वे अपने घरों में ले जाकर कुदाली, हूंम-धूप का समाग्री लेकर अपने खेतों में गए और धान की बुवाई करके कृषि कार्य की शुरुआत की। इस लोक अनुष्ठानिक पर्व को अपनी आंखों देखना बहुत ही सुखद और स्वास्थ्य शिक्षा से भरा हुआ लगा ।

इसमें ग्राम के बुजुर्ग हरदेव लाल दिल्लीवार,बइगा बोधी राम निषाद, भानु यादव, ग्राम अध्यक्ष कुलेश्वर निषाद, जगदीश साहू, यादव राम यदु, अमरनाथ साहू, कमल साहू, राम अवतार निषाद, चिंताराम केंवट, वीरेंद्र कुमार दिल्लीवार, देवधर ठाकुर, बलदेव कुमार, नरेश देशमुख ,अर्जुन निषाद, बालू राम निषाद, मोती लाल यादव, धंशूराम निषाद, बलराम साहू, रामसाय युदु, शिक्षक विवेकानंद दिल्लीवार, ग्राम बघमरा के बइगा देव सिंह, चंद्रिका निषाद, हीरामन सोनकर, अशोक सोनकर, टीकू निषाद आदि सहित काफी संख्या में कृषक व ग्रामीण जन उपस्थित रहकर इस लोक अनुष्ठान में अपनी सहभागिता दी।