पंडरिया- ब्लाक का वनांचल क्षेत्र इन दिनों कुटज की महक से महक रही है।पूरा वन क्षेत्र में कुटज की खुशबू बिखरी हुई है।शाम के समय सड़क पर इसकी भीनी गंध लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।कुटजा के पौधे क्षेत्र के वनांचल ग्राम बदौरा के आस-पास,कुकदूर मार्ग में चिथरहीन मंदिर व क्षेत्र के जंगलों में फैले हुए हैं।इसकी झाड़ियों में सफेद फूल निकले हुए हैं।जो दिखने में भी गुच्छेदार व आकर्षक हैं।वहीं इसकी खुशबू भी लोगों को लुभा रही है।कुटजा एक औषधीय पौधा है,जिसकी ऊंचाई करीब 10 से 15 फिट तक होती है।यह अधिकतर झाड़ियों के रूप में हैं।प्रतिवर्ष इसका रकबा बढ़ते जा रहा है।जो क्षेत्र के लिए लाभकारी है।

औषधीय गुण से भरा है कुटज-कुटज एक औषधीय पौधा है।इसका उपयोग औषधीय के रूप में होता है।आयुर्वेद के क्षेत्र में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।इससे रिष्ट बनाया जाता है।इसके छाल, पत्ते,बीज व फूल का उपयोग चिकित्सीय क्षेत्र में होता है।डायरिया,त्वचा रोग, पेचिस सहित अनेक रोगों में इसका उपयोग होता है।कुटज बवासीर,पथरी,दांत दर्द,महिलाओं प्रजनन प्रणाली को मजबूत बनाने,पाचन तंत्र को मजबुत करने,कुपोषण दूर करने में सहायक है।क्षेत्र में इसका उपयोग वनवासी लोग करते हैं।
