बालोद।छत्तीसगढ़ के बालोद जिले का गौरैया धाम। माघ पूर्णिमा पर रविवार को यहां धर्म और आस्था का सैलाब उमड़ा हुआ है। हजारों की संख्या में भक्त यहां पर सुबह से स्नान करने पहुंचे हुए हैं। यहां पर हिंदू देवी-देवताओं के मंदिरों के साथ ही कबीर और गायत्री परिवार की भी आस्था है। इस धाम में स्थित भगवान शिव के मंदिर का इतिहास कलचुरी वंश से जुड़ा हुआ है। कहते हैं यहां पर चिड़ियों की चहचहाहट भी शिव के नाम का उच्चारण करती थीं
कहानी, गीत में भी गौरैया का जिक्र
आज से 50 साल पहले प्रदेश के जाने माने कवि मुकुंद कौशल ने अपने गीत में गौरैया का जिक्र किया है। छत्तीसगढ़ व्याकरण के निर्माता स्व. चंद्रकुमार चंद्राकर ने भी गौरैया को लेकर सर्वे किया था। वह टेलीफिल्म बनाना चाह रहे थे, लेकिन उनका निधन हो गया। वे गौरेया धाम स्थल को लेकर कई जानकारी जुटा लिए थे। जिसका वर्णन वे अपने साथियों से करते थे।


तीन नदियों का संगम
विधायक कुंवर सिंह निषाद ने बताया कि गौरेया धाम में तीन गांव के बीच विविध आयोजन होते हैं। मुख्य आयोजन चौरेल में होता है। तांदुला नदी मोहलाई व पैरी घाट से भी जुड़ा है। तीनों इलाके के बीच तांदुला नदी संगम के रूप में हैं। यहां कोंगनी की ओर से लोहारा नाला व भोथली से जुझारा नदी भी मिलती है। 3 गांवों के बीच 3 नदियों का संगम होता है यहां पर पूरे अंचल वासियों की आस्था जुड़ी हुई है उन्होंने कहा कि यह मेला लोगों को आस्था से जोड़ता है।

खुदाई में 132 पाषाण मूर्तियां निकली
इस धाम में स्थित एक प्राचीन बावली में खुदाई से 8वीं से 12वीं सदी की लगभग 132 पाषाण मूर्तियां निकली है। जिन्हें मंदिर प्रांगण में रखा गया है। छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक परिदृष्टि से यह क्षेत्र फणी नागवंशी शासकों के अधीन था। यहां से प्राप्त मूर्तियों एवं भोरमदेव मंदिर में स्थित मूर्तियों में साम्यता है। इस धाम में प्राचीन मंदिरों का विशिष्ट समुह है। यहां राम-जानकी मंदिर, भगवान जगन्नाथ मंदिर, ज्योतिर्लिंग दर्शन, दुर्गा मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, पंचमुखी हनुमान मंदिर, बूढ़ादेव मंदिर, संत गुरु घासीदास मंदिर, संत कबीर मंदिर, वैदिक आश्रम हैं। बालोद जिले से अन्य स्थानों व दीगर राज्यों से भी लोग आते हैं।

गौरेया पक्षी को जाने
गौरैया एक घरेलू चिड़िया है। सामान्य तौर पर यह इंसानों के रिहायशी इलाके के आस-पास ही रहना पसंद करती है। चिड़िया के शरीर पर छोटे-छोटे पंख, पीली चोंच, पीले पैर होते हैं। इसकी लंबाई लगभग 14 से 16 सेंटीमीटर तक होती है। इनमें नर गौरैया का रंग थोड़ा अलग होता है। इसके सिर के ऊपर और नीचे का रंग भूरा होता है। गले, चोंच और आंखों के पास काला रंग होता है। इसके पैर भूरे होते हैं।