छत्तीसगढ़ शिक्षक महाफैडरेशन संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पॉल ने कहा कि जिसका डर था वहीं हुआ अतंत: वर्तमान सरकार ने भी अपने कर्मचारी विरोधी नीति ही अपनाई। राज्य के शिक्षकों व कर्मचारियों के भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश की जा रही है जिसके लिए कई संगठन जिम्मेदार होंगे जो इसे सौगात मानते हैं जबकि मोदी की गारंटी की गारंटी में स्पष्ट उल्लेख है और हाल ही में स्वयं प्रदेश के मुखिया ने भी अपने कथन में कहा कि केंद्र सरकार के समान देय तिथि से ही राज्य में मंहगाई भत्ते दिए जाने की बात थी अपितु इस सरकार ने भी वही किया जनवरी 2024 को मिलने वाली मंहगाई भत्ते को अक्टूबर माह में देने की बात कही है
जहां स्पष्ट रुप से प्रदेश के पांच लाख शिक्षक व कर्मचारियों को हजारों रुपए का नुकसान होगा जिसे डी ए एरियर्स के रुप में दिए जाने की उम्मीद कर्मचारी कर रहे थे।आज उनके मनसूबों पर पानी फिर गया जबकि केंद्र से हाल ही में एक बड़ी राशि राज्य सरकार को प्राप्त हुई है अपितु शासन ने शिक्षकों व कर्मचारियों की मांगों को अनदेखा करते हुए एक बार फिर उनके साथ छलावा किया है जो कि स्वागत योग्य नहीं है।
प्रदेश के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री से एक बार फिर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए छत्तीसगढ़ शिक्षक महाफैडरेशन संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पॉल ने कहा कि मंहगाई भत्ते को केंद्र के समान देय तिथि से ही प्रदान करते हुए उनकी अंतर राशि को एरियर्स राशि के रुप में दिवाली से पूर्व प्रदान करने के संबंध में पुनः आदेश करें जिससे राज्य के शिक्षकों व कर्मचारियों और उनके परिवार में खुशहाली आ सके अन्यथा राज्य सरकार के विरुद्ध शिक्षकों व कर्मचारियों के अंदर अविश्वास की भावना पैदा हो सकती है जिससे कर्मचारी व शिक्षकगण न चाहते हुए भी आंदोलन जैसे बड़े कदम उठाने पर मजबूर हो सकते हैं जिसके नुकसान की पूरी जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी।