मां कर्मा जयंती पर नगर में युवा साहू समाज के द्वारा निकाली गई भव्य शोभायात्रा

पंडरिया।तहसील साहू संघ पंडरिया अध्यक्ष गजपाल साहू के निर्देशानुसार एवं युवा प्रकोष्ठ तहसील अध्यक्ष नरोत्तम साहू के नेतृत्व में भक्त कर्मा माता जयंती पर भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। शोभायात्रा बैरागपारा से कुशाल बंद पारा ,मां महामाया चौक होते हुए मैनपुरा में समापन हुआ।जिसमें कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में गोपाल साहू पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष रहे। उन्होंने समाज को संबोधित करते हुए कहा कि मां कर्मा को जीवन शैली को हम सब अपनाए ।


मां कर्मा भगवान की महान भक्त थीं व कृष्ण ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे। राजस्थान के नागौर जिले की मकराना तहसील में एक गांव है।इस गांव में जीवनराम डूडी के घर 1615 में एक बेटी का जन्म हुआ। भगवान की बहुत मन्नतें मांगने के बाद इसका जन्म हुआ था। नाम रखा- करमा। करमा के चेहरे पर एक अनोखी आभा थी। बचपन से ही उसमें भक्तिभाव के संस्कार थे।
जीवनराम स्वयं भी धार्मिक पुरुष थे और वे अपनी बेटी से बहुत स्नेह रखते थे। इसी माहौल में करमा 13 साल की हो गई। एक बार जीवनराम को कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए पुष्कर जाना था। उनकी पत्नी भी उनके साथ जा रही थी। वे करमा को भी साथ ले जाना चाहते थे।लेकिन एक समस्या आ गई। उनकी अनुपस्थिति में भगवान को भोग कौन लगाता? इसलिए उन्होंने करमा को यह जिम्मेदारी सौंपी और बोले- बेटी, हम दोनों पुष्कर स्नान के लिए जा रहे हैं। तुम सुबह भगवान को भोग लगाना और उसके बाद ही भोजन करना।करमा ने यह जिम्मेदारी सहर्ष स्वीकार कर ली। इधर मां-पिता तीर्थ यात्रा के लिए रवाना हुए। उधर घर पर करमा ने सुबह स्नान आदि कर बाजरे का खीचड़ा बनाया। उसमें खूब घी डाला और पूजा के लिए भगवान की मूर्ति के पास आ गई। थाली सामने रखी और हाथ जोड़कर बोली, हे प्रभु, भूख लगे तब भोग लगा लेना, तब तक मैं घर के और काम कर लेती हूं।इसके बाद वह काम में जुट गई। बीच-बीच में वह थाली देखने आती लेकिन भगवान ने खीचड़ा नहीं खाया। थाली वैसी ही रखी हुई थी जैसी करमा कुछ देर पहले छोड़कर गई थी काफी देर होने के बाद भी जब भगवान ने भोग नहीं लगाया तो उसे चिंता हुई। क्या खीचड़े में घी की कमी रह गई या थोड़ा और मीठा होना चाहिए था? उसने और गुड़ व घी मिलाया और वहीं बैठ गई। लेकिन भगवान ने फिर भी नहीं खाया। तब उसने कहा, हे प्रभु आप भोग लगा लीजिए। मां-बापू पुष्कर नहाने गए हैं। भगवान ने उनकी सुनी और भगवान श्री कृष्ण जी उनका खिचड़ी खाए।


साहू समाज एक सरल और सीधा समाज है। हम सभी को एक साथ मिलकर आगे बढ़ना है ।कार्यक्रम में विशेष रूप से गोपाल साहू पुर्व प्रदेश उपाध्यक्ष, धर्मराज साहू जिला उपाध्यक्ष, श्रवणकुमार साहू तह.संरक्षक, भागीरथी साहू तह.उपाध्यक्ष राजकुमार साहू तह.उपाध्यक्ष नरेश साहू सांसद प्रतिनिधि महेश्वर तह.महामंत्री, साहू तह.महामंत्री संदीप साहू, लाला राम साहू,श्रवण साहू ,श्याम लाल साहू, बलदाऊ साहू, लेखराज साहू ,मोहन साहू ,देवचंद साहू, अनुज साहू, अर्जुन साहू, शैलेंद्र साहू, जयकिशन साहू , सुनील साहू, मनीष साहू श्रवण साहू ,यशवंत साहू, समाज के सैकड़ों लोग उपस्थित थे।